नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ नहीं ली है, लेकिन नीतीश कुमार के जदयू और चंद्रबाबू नायडू के टीडीपी ने कई धमाके कर दिए। इसी के साथ देश में चर्चा छिड़ गई है कि मोदी तीसरी बार कितने दिन प्रधानमंत्री रह पाएंगे। माना जा रहा है कि नीतीश कुमार और नायडू हार्ड बारगेनिंग कर रहे हैं और दोनों ज्यादा दिन मोदी का साथ नहीं देंगे। पहले भी दोनों बार-बार पाला बदलते रहे हैं।
नरेंद्र मोदी के शपथ से पहले ही जदयू नेता केसी त्यागी के दो बयान से हड़कंप मच गया है। उन्होंने कहा कि देशभर में जाति गणना होनी चाहिए तथा अग्निवीर योजना को वापस लिया जाना चाहिए। अभी तो उन्होंने बिहार के संबंध में मांग रखी ही नहीं है। लेकिन समझा जा रहा है कि नीतीश कुमार बिहार को विशेष राज्य का दर्जा चाहते हैं। नायडू भी आंध्र प्रदेश को विशेष दर्जा चाहते हैं। आंध्र प्रदेश आर्थिक रूप से जर्जर हो चुका है। वहां कर्मचारियों को वेतन देने के लिए सरकार के पास पैसे नहीं हैं। नायडू अच्छे मंत्रालय के साथ ही लोकसभा का अध्यक्ष पद चाहते हैं। दरअसल 2019 में चुनाव के तुरत बाद नायडू के सांसदों को मोदी-शाह ने तोड़ कर भाजपा में मिला लिया था। लोकसभा अध्यक्ष के चाहने पर ही दल बदल संभव है।
भाजपा के समर्थकों में कहीं खुशी नहीं है। वे इस आशंका से परेशान हैं कि नीतीश और नायडू कभी भी समर्थन वापस ले सकते हैं। इन दोनों नेताओं पर भाजपा समर्थकों को विश्वास नहीं है। आम तौर से भाजपा समर्थक भी मान रहे हैं कि मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री तो बन जाएंगे, पर कार्यकाल पूरा नहीं कर पाएंगे।
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मुंह दिखाने के काबिल नहीं रहे प्रशांत किशोर
इसी के साथ यह भी कहा जा रहा है कि मोदी ने कभी गठबंधन सरकार नहीं चलाई। वे माला के बीतर हमेशा अकेले रहना चाहते हैं। फोटो फ्रेम के भीतर किसी दूसरे नेता को पसंद नहीं करते। सरकार में किसी मंत्री को स्वतंत्रता नहीं देते और सारी सत्ता अपने पास रखते हैं। प्रचार के केंद्र में सिर्फ मोदी-मोदी चाहते हैं। अब हर काम उन्हें दूसरे से पूछ कर करना होगा, जो मोदी के स्वभाव में नहीं है। मोदी गठबंधन को चलाना नहीं जानते, इसलिए भी सरकार के भविष्य पर सवाल बना हुआ है।