खुदाबख्श लाइब्रेरी के एक हिस्से को तोड़ने का विरोध बढ़ा
पटना का खुदाबख्श ओरिएंटल लाइब्रेरी बिहार का ऐतिहासिक धरोहर है। इसके एक हिस्से को तोड़ने का आदेश दे दिया गया है। राजद सहित कई संगठनों का विरोध।
खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ऐतिहासिक विरासतों के संरक्षण को लेकर कई बार बयान दे चुके हैं। वहीं अब पटना के खुदाबख्श ओरिएंटल लाइब्रेरी के एक हिस्से को तोड़ने की तैयारी चल रही है।
आज राजद ने ट्विट करके लाइब्रेरी के एक हिस्से को तोड़ने पर विरोध जताया है। पार्टी ने कहा- अपने खोखले महिमामंडन की जिद के लिए ऐतिहासिक धरोहरों से छोड़छाड़ का शौक सीएम नीतीश के लिए नया नहीं है। खुदाबख्श ओरिएंटल लाइब्रेरी के एक हिस्से को ध्वस्त करना बिल्कुल आपत्तिजनक है। ऐतिहासिक पटना संग्रहालय को भी इन्होंने अपने सरकार के सौतेले व्यवहार से बिल्कुल दरकिनार-सा कर दिया है।
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ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) ने भी खुदाबख्श ओरिएंटल लाइब्रेरी के एक हिस्से को तेड़ने का विरोध किया है। संगठन ने कहा है कि ऐतिहासिक धरोहर और शिक्षा जगत में महत्वपूर्ण योगदान देनेवाली राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर की ख्यातिप्राप्त खुदा बख्श ओरिएंटल लाइब्रेरी के एक हिस्से को तोड़ने का फैसला गलत है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपना फैसला वापस लें। आइसा ने छात्र-युवा और बुद्धिजीवियों से लाइब्रेरी बचाने के लिए आगे आने की अपील की है।
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मालूम हो कि राज्य सरकार ने एलिवेटेड सड़क निर्माण के लिए लाइब्रेरी का एक हिस्सा तोड़ने का निर्णय लिया है।
राजद और आइसा के अलावा अन्य संगठनों ने भी इस औतिहासिक लाइब्रेरी को तोड़ने का विरोध किया है। इंडियन नेशनल ट्र्स्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज ने भी लाइब्रेरी के एक हिस्से को तोड़ने का विरोध किया है।
आइसा के वाइस प्रेसिडेंट वतन कुमार ने भी खुदाबख्श लाइब्रेरी को तोड़ने के विरोध में बयाान दिया है। उन्होंने कहा है कि ऐतिहासिक विरासतों को तोड़कर सरकार कैसा विकास करना चाहती है। इससे पहले पटना में सड़कों को चौड़ीकरण के नाम पर कितने ही पुराने और विशाल पेड़ हटा दिए गए। इन्हें दूसरी जगह प्रत्यारोपित किया गया, लेकिन उनमें अनेत सूख गए।