नीतीश के प्रिय केके पाठक के पद ‘परित्याग’ की इतनी चर्चा क्यों
नीतीश के प्रिय केके पाठक के पद ‘परित्याग’ की इतनी चर्चा क्यों। सत्ता के गलियारों से लेकर गांव के स्कूल तक हलचल। कोई खुश, तो कोई हो रहा परेशान।
लंबे अरसे बाद किसी आईएएस अधिकारी की बिहार में इतनी चर्चा हो रही है। वो आईएएस अधिकारी हैं शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक। उन्होंने अपने पद से परित्याग करने की सूचना राज्य सरकार को दी। इसके बाद खबर फैल गई कि उन्होंने पद से त्यागपत्र दे दिया है। खबर पर पटना में सत्ता के गलियारों से लेकर गांव के स्कूल तक हो रही है। सोशल मीडिया पर भी लगातार लोग केके पाठक के पद परित्याग पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। कोई खुश हो रहा है, तो कई परेशान दिख रहा है।
जब से केके पाठक ने शिक्षा विभाग में पद संभाला, उसी समय से वे लगातार सुर्खियों में हैं। सत्ता के गलियारे तथा गांव में उनकी चर्चा के पीछे वजहें अलग-अलग हैं। केके पाठक की कार्यशैली से अधिकारी, शिक्षक संगठन तथा विधायक-विधान पार्षद नाराज रहे हैं। उन्हें लग रहा है कि अच्छा हुआ। अधिकारी की मनमानी बंद होगी। वहीं एक तबका शिक्षा विभाग में फिर से सुस्ती, गैरजिम्मेदारी बढ़ने और पढ़ाई का माहौल समाप्त होने को लेकर चिंता कर रहा है।
पिछले दिनों केके पाठक विभाग से बाहर के अपने व्यवहार के कारण भी सुर्खी में रहे। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अजय कुमार ने केके पाठक पर दुर्व्यवहार करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि केके पाठक ने फोन पर उनसे अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया। इसके बाद आईएमए ने आपात बैठक बुलाई और केके पाठक के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। डॉ. अजय कुमार ने पटना के राजीव नगर थाने में केके पाठक के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। मामला मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पास भी पहुंचा।
केके पाठक से नाराज 15 विधान पार्षदों ने राज्यपाल से मिल कर शिकायत की। इन पार्षदों में सत्ता पक्ष के भी पार्षद थे। उन्होंने केके पाठक के उस निर्देश का विरोध किया, जिसमें कॉलेज शिक्षकों के लिए रोज पांच क्लास लेना अनिवार्य किया गया था। केके पाठक ने विधानपार्षद संजय कुमार की पेंशन पर रोक लगी दी। इस मामले ने भी तूल पकड़ा। संजय कुमार ने मामले को विशेषाधिकार समिति के समक्ष भी उठाया है। संजय कुमार महागठबंधन सरकार में शामिल सीपीआई से जुड़े हैं। इसके अलावा केके पाठक अब तक सैकड़ों शिक्षकों, हेड मास्टरों के वेतन पर रोक लगा चुके हैं।
जाहिर है केके पाठक की कार्यशैली से प्रभावित होने वाले लोगों की संख्या हजारों में हैं। इसलिए उनके पद परित्याग की खबर शहर से गांव तक च्राचा का विषय बन गया है।
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