कुढ़नी : VIP के भूमिहार, MIM के मुस्लिम, किसे लाभ किसे नुकसान
बिहार के कुढ़नी के उपचुनाव में दो पेंच फंस गए हैं। यहां जदयू और भाजपा में सीधा मुकाबला है, लेकिन वीआईपी और एमआईएम के कारण लड़ाई उलझी।
बिहार के कुढ़नी उपचुनाव में महागठबंधन के जदयू और भाजपा के बीच सीधा मुकाबला है, लेकिन परिणाम की भविष्यवाणी करना किसी के लिए भी मुश्किल हो गया। यहां वीआईपी और एआईएमआईएम ने भी प्रत्याशी उतार दिए हैं। इससे यह चुनाव उलझ गया है। वीआईपी ने नीलाभ कुमार को प्रत्याशी बना दिया है, जो भूमिहार समुदाय से आते हैं। स्पष्ट है, वे जो भी वोट काटेंगे, वह भाजपा का वोट होगा। वहीं, एमआईएम ने गुलाम मुर्तजा अंसारी को प्रत्याशी बनाया है। इसमें भी स्पष्ट है कि एमआईएम को जो भी वोट मिलेगा, वह राजद के लिए परेशानी का कारण बनेगा।
मुजफ्फरपुर के कुढ़नी में पांच दिसंबर को मतदान होगा तथा आठ दिसंबर को परिणाम आएगा। यहां महागठबंधन की तरफ से जदयू ने मनोज कुशवाहा को मैदान में उतारा है। भाजपा ने अपने पूर्व विधायक केदार गुप्ता को प्रत्याशी बनाया है। 2015 में यही दोनों नेता आमने-सामने थे। तब केदार गुप्ता लगभग 11 हजार वोट से जीते थे। उस समय राजद-जदयू साथ थे। लेकिन 2020 में स्थिति बदल गई। राजद के अनिल सहनी ने भाजपा प्रत्याशी केदार गुप्ता को 712 मतों से हरा दिया।
कुढ़नी में सवर्ण 60 हजार हैं। इनमें अगर भूमिहारों का वोट बंटा, तो भाजपा का खेल बिगड़ सकता है। मुसलमान 50 हजार मतदाता है। इसमें एमआईएम ने सेंध लगाई, तो राजद परेशानी में होगा। अनुसूचित जातियों के मतदाता 50 हजार हैं। इन तीन समूहों के अलावा यादव और वैश्य 30-30 हजार हैं। सहनी 28 हजार हैं। कुशवाहा 25 हजार।
भाजपा के खास जनाधार सवर्ण और वैश्य मतदाता को मिला दें, तो कुल मतदाता 90 हजार हो जाते हैं। पिछली बार यहां से भाजपा को केवल 77, 837 वोट ही मिले थे। वहीं राजद को 78, 549 वोट मिले थे। जदयू के कुशवाहा प्रत्याशी होने के कारण माना जा रहा है कि अधिकतर कुशवाहा जदयू के साथ होंगे। अगर मुस्लिम-यादव-कुशवाहा को मिला दें, तो कुल एक लाख पांच हजार वोट हो जाते हैं। कागज पर अब भी राजद का समीकरण मजबूत दिखता है, लेकिन वीआईपी और एमआईएम ने दो पेंच फंसा दिए हैं।
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