राष्ट्रीय लोक मोर्चा के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने चुनाव हारने के बाद पहली बार प्रेस से बात की। उन्होंने इशारे-इशारे में अपनी हार के लिए भाजपा को जिम्मेदार बताया। कहा कि पवन सिंह को चुनाव मैदान में उतारा गया था। पूरा बिहार जानता है कि उन्हें चुनाव में क्यों उतारा गया था। कुछ कहने की जरूरत नहीं है। उनके इस बयान से स्पष्ट है कि उन्होंने भाजपा को निशाने पर लिया है। सभी जानते हैं कि पवन सिंह एक्टर के साथ ही भाजपा के नेता हैं। उन्हें भाजपा ने आसनसोल से टिकट भी दिया था। पवन सिंह ने वहां से चुनाव लड़ने से इनकार किया और काराकाट आ गए।
पवन सिंह भाजपा का टिकट लौटा कर काराकाट में निर्दलीय मैदान में उतर गए, लेकिन भाजपा के किसी बड़े नेता ने पवन सिंह की आलोचना नहीं की। भाजपा के समर्थक और कार्यकर्ता खुल कर पवन सिंह के लिए काम कर रहे थे, लेकिन भाजपा ने अपने कार्यकर्ताओं को स्पष्ट निर्देश नहीं दिया।
काराकाट से माले के राजाराम सिंह चुनाव जीत गए हैं। दूसरे स्थान पर पवन सिंह रहे और उपेंद्र कुशवाहा एनडीए के प्रत्याशी होने के बावजूद तीसरे स्थान पर रहे। कुशवाहा अकेले ऐसे एनडीए प्रत्याशी हैं, जो तीसरे नंबर पर रहे।
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झारखंड, हरियाणा, महाराष्ट्र विस चुनाव में भाजपा का बचना मुश्किल
इसी के साथ चर्चा चल पड़ी है कि क्या उपेंद्र कुशवाहा एनडीए से अलग होंगे और इंडिया गठबंधन के साथ जुड़ेंगे। कहा जा रहा है कि एनडीए का नेतृत्व भाजपा के पास है और उसी ने कुशवाहा के साथ खेला कर दिया। जाहिर है 2025 विधानसभा चुनाव में उनकी उपेक्षा हो सकती है। जदयू और भाजपा ने 12-12 सीटें जीती हैं। जदयू का कहना है कि पहले की तरह विधानसभा में सीटों का बंटवारा हो। यानी दोनों को बराबर सीटें मिले। पिर चिराग पासवान की दावेदारी बढ़ गई है। जीतनराम मांझी की दावेदारी बढ़ गई है। ऐसे में बिना सांसद और बिना विधायक वाले उपेंद्र कुशवाहा को कौन पूछेगा। इसीलिए उनके इंडिया गठबंधन से जुड़ने की चर्चा चल रही है।
अभी तक भाजपा और जदयू में खींचतान चल रही थी। अब उपेंद्र कुशवाहा ने बिना नाम लिए भाजपा को निशाने पर ले लिया है। एनडीए में अभी से सिरफुटौव्वल शुरू हो गई है।