Kushwaha समर्थकों की मीटिंग लाइब्रेरी में क्यों? Lalan ने रगड़ा

जब कोई नेता दल से अलग होता है, तो समर्थकों को किसी बड़े हॉल में जमा करता है, लेकिन Upendra Kushwaha ने लाइब्रेरी में मीटिंग बुलाई। ललन सिंह ने रगड़ दिया।

कुमार अनिल

जब किसी दल से कोई गुट अलग होता है, तो शक्ति प्रदर्शन करते हुए अलग होता है। किसी बड़े हॉल में समर्थकों को जुटाता है फिर किसी बड़े मैदान में रैली करके नई पार्टी की घोषणा करता है। लेकिन उपेंद्र कुशवाहा की स्थिति इस बात से समझी जा सकती है कि उन्होंने जदयू के भीतर के अपने समर्थकों की बैठक किसी हॉल में बुलाने के बजाय पटना के एक लाइब्रेरी में रखी है। जाहिर है हॉल में मीटिंग वहीं बुला सकता है, जो हॉल को भर सके। उपेंद्र कुशवाहा ने पटना के सिन्हा लाइब्रेरी में मीटिंग बुला कर अपनी स्थिति स्पषट कर दी है।

जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने जदयू के पैड पर ही जदयू की आलोचना करते हुए अपने समर्थकों को पत्र लिखा है। पत्र में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को ही निशाने पर लिया गया है कि मुख्यमंत्री पार्टी को मजबूत करने के लिए उत्सुक नहीं हैं। बार-बार बोलने पर भी वे पार्टी को मजबूत नहीं कर रहे हैं। उनकी सलाह को तवज्जो नहीं दे रहे हैं। इसलिए पार्टी को बचाने के लिए चर्चा करनी होगी। इसी चर्चा के लिए कुशवाहा ने 19 और 20 फरवरी को सिन्हा लाइब्रेरी में मीटिंग बुलाई है। कुशवाहा ने अपना पत्र सोशल मीडिया में भी शेयर किया है।

इधर, जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने उपेंद्र कुशवाहा के पत्र पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा-कहीं पर निगाहें, कहीं पर निशाना जद (यू.) के समर्पित एवं निष्ठावान कार्यकर्ता साथियों को दिग्भ्रमित करने का प्रयास है। “ना कोई डील है और ना ही विलय की बात” – यह सिर्फ एक मनगढ़ंत कहानी है।

उपेंद्र कुशवाहा के पत्र से स्पष्ट है कि वे अपनी राह अलग करने के लिए भूमिका तैयार कर रहे हैं। कुशवाहा के पत्र में महंगाई, बेरोजगारी, सांप्रदायिकता, केंद्र द्वारा बिहार की उपेक्षा जैसे सवालों का जिक्र भी नहीं है, जिसे जदयू उठाता रहा है। राजद में जदयू के विलय के संबंध में भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने स्पष्ट कर दिया है कि दोनों दलों में विलय नहीं होगा। दरअसल मुख्यमंत्री की 2025 में तेजस्वी के नेतृत्व में चुनाव लड़ने की घोषणा से कुशवाहा परेशानी महसू कर रहे हैं। मालूम हो कि 2020 बिहार चुनाव में कुशवाहा ने खुद को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करते हुए चुनाव लड़ा था, लेकिन एक भी सीट नहीं जीत पाए।

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