क्या राज्यपाल बनने के लिए मांझी ने बेटे का कैरियर दांव पर लगा दिया
पटना से लेकर गांव की गलियों तक चर्चा है कि जीतनराम मांझी राज्यपाल बननेवाले हैं। सवाल उठ रहा कि क्या अपने स्वार्थ में बेटे का कैरियर दांव पर लगा दिया?
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पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी के नीतीश सरकार और महागठबंधन से अलग होने के बाद पटना से लेकर गांव की गलियों तक चर्चा है कि मांझी राज्यपाल बननेवाले हैं। वे गृह मंत्री अमित शाह से पहले ही मुलाकात कर चुके हैं। अब बड़ा सवाल उठ रहा कि क्या अपने स्वार्थ में उन्होंने बेटे संतोष सुमन मांझी का कैरियर दांव पर लगा दिया?
संतोष मांझी नीतीश सरकार में मंत्री थे। कल उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। अब कयास लगाया जा रहा है कि जीतनराम मांझी राज्यपाल बनाए जा सकते हैं। साथ ही कहा जा रहा है कि उनके बेटे संतोष मांझी को 2024 लोकसभा चुनाव में भाजपा समर्थन देगी यानी वे एनडीए प्रत्याशी होंगे। सवाल है कि अगर वे लोकसभा चुनाव नहीं जीते, तब क्या होगा? फिलहाल गया से जदयू के सांसद हैं। गया ही ऐसी सीट है, जहां से संतोष सुमन लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं, क्योंकि यहां उनकी जाति मुसहर आबादी अधिक है। इस तरह देखा जाए, तो जीतनराम मांझी राज्यपाल बन जाएंगे, लेकिन बेटे का राजनीतिक कैरियर खतरे में रहेगा।
केंद्र के मोदी मंत्रिमंडल में फेरबदल की चर्चा भी जोरों पर है। फिलहाल भाजपा संतोश सुमन को केंद्र में मंत्री बनाएगी, इसकी संभावना कम है। इसकी वजह है कि पहले से पशुपति पारस केंद्र में मंत्री हैं और बिहार से एक दूसरे दलित नेता को बी मंत्री बनाने का लाभ समझ से परे है। फिर चिराग पासवान भी मंत्री बनने की उम्मीद में हैं। संतोष मांझी को केंद्र में मंत्री बनाने का मतलब है चिराग पासवान को नाराज करना। एक बात यह भी है कि संतोष मांझी संसद सदस्य नहीं हैं। उन्हें मंत्री बनाने का मतलब है भाजपा को उन्हें राज्यसभा में भी भेजना होगा, जो संभव नहीं दिखता।
घूम-पिर कर वही सवाल आ जाता है कि संतोष मांझी का क्या होगा। अगर वे गया से लोकसभा चुनाव हार गए, तो उनका कैरियर खतरे में पड़ जाएगा, क्योंकि चुनाव हारने के बाद भी केंद्र में मंत्री बनाए जाने के कम चांस हैं। तो क्या जीतनराम मांझी ने खुद राज्यपाल बनने के लिए बेटे का राजनीतिक जीवन खतरे में डाल दिया? फिलहाल हमें कुछ दिन इंतजार करना होगा। महीने भर में स्थिति साफ हो जाएगी।
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