पृथक निर्वाचन की उठी मांग, सड़क पर आंदोलन की तैयारी
“सेपरेट इलेक्ट्रॉल सिस्टम, कॉमन स्कूल सिस्टम और जातिविहीन समाज निर्माण के लिए हम दलितों को सड़क से संसद तक आंदोलन करना होगा तभी बाबा साहेब आंबेडकर का सपना साकार होगा।”ये बातें बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने कही। ‘भारतीय लोकतंत्र में जनता : दशा एवं दिशा और दलित पैंथर का 50 साल’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी को वे संबोधित कर रहे थे।
बिहार विधान परिषद सभागार में इंडियन डेमोक्रेटिक यूनियन की पहल पर आयोजित इस कार्यक्रम का उद्घाटन बिहार विधान परिषद के सभापति श्री देवेश चंद्र ठाकुर ने किया। यह कार्यक्रम बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम की अध्यक्षता में संपन्न हुई।
भारत सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री रामदास आठवले ने मुख्य अतिथि के बतौर बाबा साहेब आंबेडकर और दलित एवं पैंथर आंदोलन के विषय में महत्वपूर्ण बातें साझा की। उन्होंने कहा कि बिहार लोकतंत्र की जननी है और बौद्ध धर्म की भूमि है।
अपने स्वागत भाषण में विधायक पवन जयसवाल ने मंत्री रामदास आठवले साहब की चर्चा करते हुए कहा कि इन्होंने 17 साल तक संघर्ष करके मराठावाड़ा विश्वविद्यालय का नामकरण बाबा साहेब आंबेडकर के नाम पर करवाया। बिहार विधान परिषद के सभापति श्री देवेश चंद्र ठाकुर ने कहा कि महाराष्ट्र से और बिहार के राज्यपाल रहे आर एस गवई से हमारा पुराना सम्बन्ध रहा है. बिहार विधान परिषद के उप सभापति प्रो रामचन्द्र पूर्वे ने कहा कि जनता के लोकतांत्रिक सशक्तीकरण में दलित पैंथर आंदोलन की ऐतिहासिक भूमिका रही है। उन्होंने बाबा साहब अम्बेडकर की 1956 में हुए परिनिर्वाण की चर्चा करते हुए कहा कि इसके बाद दलित आंदोलन में एक शून्यता आई उसी को भरने के लिए नामदेव ढसाल और अरुण काम्बले के नेतृत्व में दलित पैंथर आंदोलन विकसित हुआ।
बिहार के पूर्व मंत्री रामप्रीत पासवान ने कहा कि पूरे भारत में सब जगह दलितों का हाल बुरा है। जिस तरह से इनका विकास होना चाहिए था, नहीं हुआ। इंडियन डेमोक्रेटिक यूनियन के ई. ललन कुमार ने कहा कि हम बाबा साहब के अनुयाई हैं, बाबा साहेब को अपना आदर्श मानते हैं। हमारी समस्या का समाधान बाबा साहेब के संविधान में है।
कार्यक्रम का संचालन लेखक एवं ‘स्त्रीकाल’ ब्लॉग के सम्पादक संजीव चन्दन ने किया