राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद के एक कदम से बिहार की राजनीति हिल गई है और भाजपा-जदयू चित हो गए हैं। उन्होंने बड़े बेटे तेज प्रताप यादव को पार्टी और परिवार से निकाल दिया है। उनके इस कठोर निर्णय की पूरे बिहार में चर्चा है। आम लोगों का कहना है कि लालू प्रसाद ने सही किया। वहीं भाजपा और जदयू , जिनकी पूरी राजनीति के केंद्र में लालू विरोध रहा है, वह अचानक बेहद कमजोर हो गया है। जहां एक तरफ लालू प्रसाद पर परिवारवाद के आरोप की हवा निकल गई है, वहीं लालू ने जिस प्रकार उच्च नैतिक मूल्यों की रक्षा की, उससे भाजपा-जदयू परेशान है। दोनों दलों को समझ में नहीं आ रहा है कि अब लालू प्रसाद के खिलाफ क्या बोलें।
राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद ने कल बड़े बेटे तेज प्रताप को पार्टी और परिवार दोनों से बाहर कर दिया। पार्टी से छह वर्षों के लिए निष्कासित कर दिया। यह कठोर फैसला लालू प्रसाद ने तब लिया, जब तेज प्रताप ने एक युवती के साथ अपना फोटो सोशल मीडिया में शेयर करते हुए लिखा है कि 12 वर्षों से रिलेशनशिप में हैं। तेज प्रताप यादव शादीशुदा हैं और पत्नी से तलाक का मामला कोर्ट में है।
लालू प्रसाद ने कहा कि सामाजिक न्याय का सामूहित संघर्ष और उनके परिलार के संस्कार उच्च नैतिक मूल्यों पर आधारित हैं। तेज प्रताप ने जो किया, वह अनैतिक है। इसे सहन नहीं कर सकते। लालू प्रसाद ने जिस प्रकार नैतिक मूलियों की रक्षा की, उसकी हर बेटी का पिता सराहना कर रहा है। समाज में अनैतिकता के कारण बिखराव आ रहा है, ऐसे में लालू के इस निर्णय को बड़ा और कठोर निर्णय माना जा रहा है।
राजद के एक राज्य स्तरीय नेता ने कहा कि भाजपा वाले क्या बोलेंगे। उनके नेता दुष्कर्म में पकड़े जा रहे हैं, पिर भी पार्टी में बने रहते हैं। पूरी पार्टी ऐसे नेता के बचाव में खड़ी हो जाती है।