लालू का मिशन ‘तेज’, तेजस्वी की ताजपोशी का गेमप्लान तैयार
11 जून को लालू प्रासद के जन्मदिन समारोह में तमाम नाती नातिन शामिल हुए. लेकिन तेज प्रताप यादव एक अलग मिशन पर लगे थे. वह NDA नेता जीतन राम मांझी से मिल रहे थे.
ऐसे में सवाल यह है कि क्या लालू प्रसाद ने अपने बड़े बेटे को मिशन ‘तेज’ पर लगा रखा है? और क्या बिहार से NDA को सत्ता से बेदखल करने का गेमप्लान तैयार हो चुका है? मीडिया में आ रही कुछ ऐसी खबरों पर सत्ता धारी गठबंधन की सांसें अटकती जा रही हैं.
तेज प्रताप जीतन राम मांझी से उनके आवास पर जा कर मिले. वहां से फोन लगाया और मांझी की लालू से बात कराई. कुछ घंटों में खबर आयी कि मुकेश सहनी ने भी लालू को फोन किया. दोनों के फोन के लिए तर्क यह था कि उन्होंने लालू प्रसाद को उनके जन्मदिन पर बधाई दी.
पर इस मामले को इतनी सहजता से लेने की भूल न तो सत्ता पक्ष के नेता कर रहे हैं और न ही आम लोग. इसकी अनेक वजहें हैं.
सत्ता की चाबी ऐसे मिलेगी
कुल 243 सदस्यीय विधान सभआ में बहुमत के लिए 122 का आंकड़ा चाहिए. राजद के पास 75 सीटें हैं. कांग्रेस और लेफ्ट को क्रमश 19 और 16 सीटें हैं. इस प्रकार महागठबंधन के पास 110 सीटें पहले से हैं. उसे 122 के आंकड़ें तक पहुंचने के लिए वीआईपी और हिंदुस्तान अवाम मोर्चा के 4-4 विधायकों के अलावा एआईएमआईएम के 5 विधायकों का समर्थन मिल जाये तो महागठबंधन के पाले में 123 सीटें आ जायेंगी जो बहुमत से एक ज्यादा है.
सबसे पहले जीतन राम मांझी की बातों पर गौर करें. मांझी से जब इस संबंध में पूछा गया तो उन्होंने कहा- “तेज प्रताप यादव ने उन्हें प्रस्ताव दिया है कि ऐसे युवा जो नन पॉलिटिकल हों और किसी संस्था से जुड़े हों, उन्हें राजनीति और समाज को लेकर ट्रेनिंग दी जाए इस प्रकार की एक संस्था बननी चाहिए.इस तरह से गैर राजनीतिक संस्था बनती है तो तेज प्रताप यादव अन्य नेता के अलावा अगर उनको भी उस संस्था में बुलाएंगे तो वह जरूर जाएंगे”.
इसके अलावा, जीतन राम मांझी के पिछले दिनों आये बयान पर गौर कीजिए. भाजपा नेता संजय जायसवाल द्वारा कहा गया था कि अल्पसंख्यक समुदाय के लोग दलितों पर अत्याचार कर रहे हैं. इसके जवाब में मांझी ने कहा था कि दलित मुस्लिम एकता से कुछ लोगों के पेट में दर्द होता है.
मांझी के ये दोनों बयान हमें इस कयास तक पहुंचने पर मजबूर करते हैं कि जीतन राम मांझी एनडीए को जो नसीहत दे रहे हैं उसके पीछे कोई मजबूत गेमप्लान जरूर है.
अब आइए बात मुकेश सहनी की करते हैं. जन्म दिन के नाम पर सहनी ने भी लालू प्रासद को फोन लगाया. उन्हें बधाई दी. जब उनसे इस बारे में पूछा गया तो मुकेश ने कहा कि “पर्दे की बात पर्दे में रहने दीजिए”.
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लेकिन इससे भी बड़ी बात यह है कि मुकेश ने एक तरह से भाजपा व जदयू के नेताओं को इशारों में ऐसी नसीहत दी जिससे भाजपा व जदयू के बड़े नेताओं की धुधुकी बढ़ना लाजिमी है. मुकेश ने बिना नाम लिए बीजेपी नेताओं को अनावश्यक बयानबाजी की बजाय जनता से किए 19 लाख के रोजगार पर काम करने की सलाह दी है। उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘एनडीए गठबंधन के साथीगण से अनुरोध है कि अनावश्यक बयानबाजी से बचें एवं हम सब मिलकर बिहार की जनता से किए गए 19 लाख रोजगार के वादे पर काम करें।’
मुकेश के उक्त बयान में एक तरह की धमकी छिपी है. उन्होंने भाजपा द्वारा चुनाव के वक्त 19 लाख रोजगार देने के वादे को इश्यु बनाने की तैयारी कर ली है. वह समय-समय पर इस मुद्दे पर टिप्पणी कर के भाजपा से पिंड छुड़ाने की वजह बना सकते हैं.
राजद का फार्मुला
जीतन राम मांझी और मुकेश सहनी की पार्टी को नीतीश मंत्रिमंडल में जगह तो मिली है पर उनको वह हैसियत नहीं मिली जिसकी वे उम्मीद कर रहे थे. ऐसे में राजद उन दोनों दलों को एक एख उपमुख्यमंत्री का पद ऑफर कर सकता है.