लालू पटना पहुंचे, ममता की उम्मीद करेंगे साकार, जुटेगा सारा विपक्ष
लालू प्रसाद शुक्रवार को पटना पहुंचे। उनके साथ तेजस्वी भी थे। ममता बनर्जी ने नीतीश-तेजस्वी से जो उम्मीद की थी, वह हो सकता है साकार। पटना में होगा बड़ा जुटान?
कुमार अनिल
राजद प्रमुख लालू प्रसाद शुक्रवार को पटना पहुंचे। वे किडनी ट्रांसप्लांट के बाद पहली बार पटना पहुंचे। दिल्ली से उनके साथ तेजस्वी यादव भी साथ आए। लालू प्रसाद दिल्ली में भी लगातार विभिन्न दलों के नेताओं के संपर्क में थे। अब पटना में वे कौन सी पहल करने वाले हैं, इस पर राजनीतिक पंडित माथा-पच्ची कर रहे हैं।
चार दिन पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से कोलकाता में मिले थे। तब ममजा बनर्जी ने दो बड़ी बातें कही थीं। कहा था कि उन्हें किसी प्रकार का अहं नहीं है और वे चाहती हैं कि 2024 में भाजपा को केंद्र की सत्ता से बाहर करने के लिए देश में व्यापक विपक्षी एकता हो। उन्होंने बिहार के दोनों प्रमुख नेताओं से एक दूसरी महत्वपूर्ण बात भी कही थी। उन्होंने कहा था कि जिस प्रकार जय प्रकाश नारायण ने 1974 में देश की राजनीति बदलने का अभियान बिहार से शुरू किया था और तब बदलाव का केंद्र भी बिहार ही बना था, उसी प्रकार 2024 में भाजपा को सत्ता से उखाड़ फेंकने के लिए बिहार पहल करे। 2024 में बदलाव का केंद्र बने बिहार। ममता ने कहा था कि एक बार फिर से जेपी आंदोलन की तरह बड़ा अभियान छेड़ना चाहिए। बाद में हम मिल कर संयुक्त घोषणापत्र जारी कर सकते हैं। लालू प्रसाद के पटना पहुंचने को ममता बनर्जी की उस उम्मीद से जोड़ कर देखा जा रहा है।
It’s not merely enough to get Opposition parties together to take on the #BJP at the general elections next year, writes @Sougata_Mukh. Read more here#MamataBanerjee #TMC #NitishKumar https://t.co/VC0Rk9DjOm
— The Telegraph (@ttindia) April 24, 2023
राजद सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार लालू प्रसाद में पटना में देश भर के विपक्षी नेताओं की बैठक बुलाने की पहल कर सकते हैं। बरसात बाद पटना में कोई महारैली भी हो सकती हैं, जिसमें देश भर के विपक्षी नेता एक मंच पर होंगे। ऐसा हुआ, तो इससे देश में विपक्षी एकता को बड़ा मिलेगा।
विपक्षी नेताओं की कोई बैठक 13 मई के बाद पटना में हो सकती है। 13 मई को कर्नाटक चुनाव के नतीजे आ जाएंगे। अब तक जो खबरें मिल रही हैं, उसके अनुसार कर्नाटक में हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण वाले मुद्दे हिजाब, हलाल, टीपू सुल्तान टिक नहीं पाए और जनता के वास्तविक मुद्दे महंगाई, भ्रष्टाचार, रोजगार के सवाल केंद्र में आ गए हैं। ओपिनियन पोल बहुत कम हो रहे हैं। जो एक दो हुए हैं, उसमें कांग्रेस जीतती दिख रही है। अगर ओपिनियन पोल के अनुसार ही परिणाम आए, तो विपक्षी एकता की मुहिम तेज हो जाएगी।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी चाहेंगे कि पटना में देश भर के गैर भाजपा दलों की बैठक हो और 2024 चुनाव पर रणनीति बने।
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