राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद ने पत्रकारों को पहली बार पत्रकारिता धर्म की याद दिलाई है। विपक्षी नेताओं को घेर-घेर कर सवाल करने वाले पत्रकारों का प्रधानमंत्री से सवाल करने में गला सूख जाता है। उन्होंने पहली बार बड़े गोदी पत्रकारों को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि प्रधानमंत्री का भर-भर पन्ने का इंटरव्यू छप रहा है, लेकिन आज तक किसी पत्रकार ने प्रधानमंत्री से यह नहीं पूछा कि दो करोड़ नौकरी देने के उनके वादे क्या हुआ, वे मणिपुर क्यों नहीं गए।
लालू प्रसाद ने कहा पत्रकार लोग नरेंद्र मोदी का इंटरव्यू ले रहे हैं, लेकिन कोई अपना पत्रकारिता धर्म नहीं निभा रहा। किसी ने डर के मारे प्रधानमंत्री से नहीं पूछा कि आपने सालाना करोड़ नौकरियां देने का वादा किया था, उस वादे का क्या हुआ? आपने वह वादा किस आधार और अध्ययन के तहत किया था? किसी ने नहीं पूछा कि आपने कहा था कि लाखों करोड़ काला धन विदेशों में है, प्रत्येक के खाते में – लाख रुपए यूं ही आ जाएगा, वह क्यों नहीं आया? यह किसी पत्रकार ने नहीं पूछा? आपने गंगा सफ़ाई की बात की? उसका क्या हुआ? बल्कि गंगा मैया को पहले से अधिक प्रदूषित कर दिया है। किसी पत्रकार ने नहीं पूछा? पहले देश पर कितना कर्ज था, अब कितना है? वर्षों में इन्होंने चार गुणा कर्ज क्यों बढ़ा दिया? इन्होंने पूँजीपतियों का लाख करोड़ माफ़ क्यों किया? कोई नोटबंदी का ज़िक्र नहीं कर रहा? ना ही इसके फायदे पूछ रहा है?
इनके कार्यकाल में रिकॉर्डतोड़ महंगाई और बेरोज़गारी क्यों बढ़ी? बिहार ने आपको इतने सांसद दिए लेकिन आपने बिहार को क्या दिया?
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ये इंटरव्यू नहीं पटकथा है। एक सवाल पूछने से पहले पत्रकार लोग मिनट मक्खन लगाते है, फिर चासनी में लपेट एक सवाल पूछते है, फिर मिनट मक्खन लगाते है।इतना स्क्रिप्टड भी नहीं होना चाहिए।