पासवान के कुनबे में विद्रोह के बाद टूट गयी पार्टी, 116 पदाधिकारियों ने बनाई LJP सेकुलर
चुनाव में बम्पर जीत भले ही एलजेपी ने हासिल कर ली हो पर अंदर ही अंदर बगावत के धुंए ने आज शोला का रूप धर लिया और आखिरकार पार्टी टूट गयी. लोकजनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सत्यानंद शर्मा के नेतृत्व में 116 पदाधिकारियों ने पार्टी छोड़ कर नयी पार्टी के गठन की घोषणा कर दी.
सत्यानंद शर्मा ने प्रेस कांफ्रेंस की और कहा कि एलजेपी एक परिवार की पार्टी बन कर रह गयी है जहां चुनाव में या तो परिवार के लोगों को टिकट दिया जाता है या फिर बाहरी लोगों को टिकट बेच दिया जाता है.
सत्यानंद शर्मा ने कहा कि इस पार्टी में लोकतंत्र का कोई वजूद नहीं है. ऐसे में पार्टी में बने रहने का कोई औचित्य नहीं है.
मालूम हो कि लोजपा पर पैसे ले कर टिकट बेचने का आरोप अकसर लगता रहा है. जबकि पार्टी पर पूरी तरह से पासवान परिवार की गरिफ्त है. पिता पासवान प्रेसिडेंट हैं तो बेटा चिराग संसदीय दल के प्रमुख. एक चाचा बिहार में मंत्री हैं तो दूसरे चाचा सांसद.
लोजपा के अंदर इस तरह के विघटन का समझा जाता है बड़ा नुकसान विधानसभा चुनाव में देखने में मिल सकता है.
याद रहे कि 2019 में लोजपा ने एनडीए के घटक दल के रूप में छह सीटों पर चुनाव लड़ा था. उसने सभी छह सीटें जीती थीं.
सत्यानन्द शर्मा ने २०१४ में नालन्दा से लोकसभा का चुनाव लड़ा था. लेकिन इसबार उनको टिकेट नहीं मिला था.
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पार्टी में यह टूट ऐसे समय में हुई है जब अगले ही साल बिहार में विधानसभा चुनाव होना है. समझा जाता है कि इस टूट से पार्टी को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है.
LJP का इतिहास
लोकजनशक्ति पार्टी का गठन 28 नवम्बर 2000 को रामविलास पासवान के नेतृत्व में किया गया था. उससे पहले पासवान जनता दल में थे. जनता दल के नेताओं से विद्रोह करके पासवान ने पार्टी का गठन किया था. रामविलास पासवान विगक आधी सदी से राजनीति में सक्रिय रहे हैं. वह पिछले दो दशक से अलग अलग सरकारों में मंत्री रहे हैं.