केंद्र सरकार ने मौलाना आज़ाद एजुकेशन फाउंडेशन को किया बंद
केंद्र सरकार ने मौलाना आज़ाद एजुकेशन फाउंडेशन को किया बंद। बिना कोई ठोस कारण बताए किया बंद। फाउंडेशन में कार्यरत कर्मियों की बरखास्तगी का भी आदेश।
केंद्र सरकार के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने मौलाना आजाद एजुकेशन फाउंडेशन MAEF) को बंद कर दिया है। केंद्र सरकार ने फाउंडेशन को बंद करने पीछे कोई ठोस आधार भी नहीं बया है। फाउंडेशन को बंद करने के साथ ही यहां कार्यरत 43 संविदा कर्मियों को भी बरखास्त करने का आदेश जारी कर दिया गया है। केंद्र सरकार के इस निर्णय से मुस्लिमों सहित अन्य अल्पसंख्यकों में नाराजगी देखी जा रही है।
मालूम हो कि फाउंडेशन की कई योजनाओं से मुस्लिम छात्रों को पढ़ाई जारी रखने में मदद मिल रही थी। मौलाना आजाद एजुकेशनल फाउंडेशन का शिक्षा के प्रसार में योगदान रहा है। jourmomirror.com की खबर के मुताबिक इस फैसले के बाद तैंतालीस संविदा कर्मचारियों की बर्खास्तगी का भी आदेश जारी कर दिया गया. इसके अलावा, MoMA ने 30 नवंबर, 2023 तक फाउंडेशन के पास 1073.26 करोड़ रुपये की संपत्ति और 403.55 करोड़ रुपये की देनदारी होने के बावजूद, अतिरिक्त नकदी को भारत के समेकित कोष में स्थानांतरित करने का आदेश दिया गया है।
इतनी महत्वपूर्ण खबर को मुख्य धारा की मीडिया ने गायब कर दिया है, जबकि फाउंडेशन को बंद करने का आदेश सात फरवरी को ही दिया गया है। एमएईएफ अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों के शैक्षणिक-सामाजिक उत्थान के लिए बनाया गया था। फाउंडेशन की विभिन्न योजनाओं का लाभ लेने के लिए किसी व्यक्ति को छह अल्पसंख्यक समूहों में से एक होना चाहिए। ये छह समूह हैं मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध, पारसी और जैन। समाज के वंचित वर्गों के बीच शिक्षा को बढ़ावा देने के मिशन के साथ स्थापित, मौलाना आज़ाद एजुकेशन फाउंडेशन को अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय द्वारा वित्त पोषित किया गया था और मंत्रालय ने फाउंडेशन के पदेन अध्यक्ष की भूमिका निभाई थी। 6 जुलाई, 1989 को सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के तहत इसका गठन किया गया। अब तक फाउंडेशन ने अल्पसंख्यकों के लिए विभिन्न योजनाओं के जरिये उनके विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाया है।
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