“तेरे ख्यालों के रहगुज़र से कभी तो हम गुजरते होंगे/ संवरते होंगे, निखरते होंगे,लबों पे आकर बिखरते होंगे
मेजर राजेंद्र सिंह जयंती समारोह
दिल पर क़ाबू नही रहा होगा/ पाँव घर से निकल गए होंगे”जैसी दिल को छू लेनेवाली पंक्तियों से कवियों और कवयित्रियों ने श्रोताओं का दिल जीत लिया। अवसर था मेजर राजेंद्र प्रसाद सिंह की जयंती पर, बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन में आयोजित बहुभाषा कवि–सम्मेलन का। डा राजेन्द्र प्रसाद कला एवं युवा विकास समिति के तत्त्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम का उद्घाटन चाणक्य विधि विश्वविद्यालय की कुलपति न्यायमूर्ति श्रीमती मृदुला मिश्र ने किया।
अपने उद्घाटन भाषण में न्यामूर्ति ने कहा कि, जो समाज अपनी भाषा और संस्कृति का संरक्षण नहीं करता, वह पंगु हो जाता है। हमें अपनी कला और धरोहर का संरक्षण और सँवर्द्धन करना चाहिए। उन्होंनें कहा कि, हर समाज की अपनी अलग विशिष्टताएँ होती हैं। अपनी लोक–कला होती है, जिसे संरक्षित और परिष्कृत करना चाहिए ।
अनिल सुलभ ने की अध्यक्षता
अपने अध्यक्षीय उद्गार में,सम्मेलन के अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने मेजर राजेंद्र प्रसाद सिंह की स्मृतियों को श्रद्धापूर्वक नमन किया और कहा कि, मेजर सिंह एक जाँबाज़ सैनिक थे, जिन्होंने अपनी निष्ठा और समर्पण से अनेक मोर्चों पर वीरता का परिचय दिया। उन्हें अनेक सैनिक सम्मान मिले। उनकी सेवाओं को देखते हुए, उन्हें अवकाश के समय ‘कर्नल‘की मानद उपाधि दी गई,जो किसी भी सैनिक के लिए गौरव की बात होती है।
इस अवसर पर सी एम कौलेज, दरभंगा के मैथिली विभाग के अध्यक्ष डा नारायण झा, सम्मेलन के उपाध्यक्ष नृपेंद्र नाथ गुप्त, डा शंकर प्रसाद, डा मधु वर्मा, डा कल्याणी कुसुम सिंह, कवि सुनील कुमार दूबे तथा प्रवीर पंकज ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
इस अवसर पर आयोजित बहुभाषा कवि–सम्मेलन में संस्कृत, हिंदी और उर्दू समेत अनेक भाषाओं के कवियों ने अपनी रचनाओं का पाठ किया। शायरा जीनत शेख़ ने एक नाज़ुक ग़ज़ल के साथ शुरुआत की और कहा कि, ‘तेरे ख़यालों के रहगुज़र से कभी तो हम भी गुजरते होंगे/संवरते होंगे, निखरते होंगे, लबों पे आकर बिखरते होंगे“। वरिष्ठ कवयित्री नीलम श्रीवास्तव ने छोटे बहर की एक ग़ज़ल तर्रनुम के साथ पढ़कर श्रोताओं के दिलों में ताज़गी भर दी। उनकी पंक्तियाँ थी– “ दीप्यादों के जल गए होंगे/ कितने अरमान मचल गए होंगे/ दिल पर क़ाबू नही रहा होगा/ पाँव घर से निकल गए होंगे“।
संस्कृत में ज्योतिषाचार्य उमेश चंद्र,अंगिका में योगेन्द्र प्रसाद मिश्र, भोजपुरी में जय प्रकाश पुजारी, मगही में राज कुमार प्रेमी, मैथिली में डा नारायण झा, बज्जिका में आचार्य आनाद किशोर शास्त्री के अतिरिक्त कवयित्री आराधना प्रसाद, बच्चा ठाकुर,उत्कर्ष आनंद‘भारत‘, कुंदन आनंद, निशान्त,सिमरन राज, आयुष्मान आर्य, अश्विनी कुमार कविराज, केशव कौशिक,डा केकी कृष्ण,कामेश्वर कैमूरी,शुभचंद्र सिन्हा,गौरव सिन्हा, रौशन प्रकाश वर्मा, रितेश गौरव ने पनी रचनाएँ पढ़ी।
इस अवसर पर, कवयित्री पूनम आनंद, डा शालिनी पाण्डेय, अनुपमा नाथ, डा सीमा यादव,डा अर्चना त्रिपाठी,चंदा मिश्र, डा सुधा सिन्हा, डा किरण सिंह, पूनम सिन्हा श्रेयसी, सिंधु कुमारी, संजू शरण,डा नीतू सिंह, डा मीना कुमारी, डा अन्नपूर्णा श्रीवास्तव,रेखा झा, अर्चना सिन्हा, रेखा भारती तथा डा सीमा रानी को साहित्य–साधना सम्मान से विभूषित किया गया।
अतिथियों का स्वागत संस्था के अध्यक्ष नेहाल कुमार सिंह ‘निर्मल‘ने तथा धन्यवाद ज्ञापन संस्था की संयोजिका सागरिका राय ने किया। मंच का संचालन आचार्य आनंद किशोर शास्त्री ने किया।