मांझी का घर, जुबान शुद्ध करने गंगा जल लेकर पहुंचे कुछ ब्राह्मण

आज ब्राह्मणों का एक समूह पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी के घर गंगा जल लेकर पहुंचा। उनका कहना था कि वे मांझी का घर और उनकी जुबान शुद्ध करने आए हैं।

कुमार अनिल

2014 में तब मुख्यमंत्री रहे जीतनराम मांझी एक मंदिर में गए थे। उनके लौटते ही मंदिर को गंगा जल से धोया गया था। अब आज एक बार फिर ब्राह्मणों का एक समूह पूर्व मुख्यमंत्री मांझी के घर गंगा जल लेकर पहुंच गया। वे मांझी के घर और उनकी जुबान को शुद्ध करने के लिए गंगा जल लेकर पहुंचे थे। वे यह भी कह रहे थे कि वे सत्यनारायण कथा करेंगे और मांझी को सुनना चाहिए। पुलिस ने भीतर जाने की इजाजत नहीं दी, तो सड़क पर ही इस समूह ने पूजा की और दही-चूड़ा खाया।

किसी भी जाति के लिए अपशब्द कहना गलत है। खुद पूर्व मुख्यमंत्री मांझी भी सफाई दे चुके हैं कि उनका मकसद जाति विशेष को अपमानित करना नहीं था। वे मनुवाद-ब्राह्मणवाद के विरुद्ध हैं। कायदे से इसके बाद विवाद खत्म हो जाना चाहिए, फिर भी किसी समूह को विरोध जताने का अधिकार है, लेकिन क्या गंगा जल से घर और जुबान शुद्ध करने को लोकतांत्रिक प्रतिवाद माना जा सकता है?

अभी देश में वीडियो वायरल है, जिसमें हिंदुत्ववादी हरिद्वार में एक खास धर्म के लोगों का कत्लेआम करने को उकसा रहे हैं। उनकी जुबान तो कोई शुद्ध करने नहीं जा रहा। फिर हाल में बिहार में ही एक दलित को थूक चाटने पर विवश किया गया। एक प्रदेश में दलित रसोइया के हाथ से बना खाना खाने से मना कर दिया जाता है, क्या ये जाति का अपमान नहीं है?

देश में हिंदू और हिंदुत्व के फर्क पर चर्चा चल रही है। हिंदू वह है, जो हर जाति के प्रति सम्मान रखे और हिंदुत्ववादी वह है, जो खास धर्म के लोगों के खिलाफ नफरत फैलाए। जो लोग गंगा जल लेकर मांझी के घर पहुंचे, उनसे सवाल है कि क्या वे उस व्यक्ति के घर गंगा जल लेकर गए, जिसने दलित को थूक चाटने पर विवश किया। इसे ही कहते हैं दोहरापन।

भगवान राम की आड़ में अयोध्या में जमीन की लूट जारी है। दलित की जमीन भी भगवान के नाम पर पड़पी गई। ये जमीन हड़पनेवाले कौन हैं? क्या उनका घर शुद्ध करने के लिए कोई गंगा जल लेकर गया? वहां से तो देशभर के हिंदुओं की आस्था जुड़ी है, लेकिन मांझी के घर पहुंचनेवाले इस पर क्या कहेंगे?

गंगा जल से धोने से घर शुद्ध हो जाएगा, इस विचार से कोई जरूरी नहीं कि हर कोई सहमत हो। खुद गंगा जल दूषित है, यह सरकार भी मानती है और शुद्ध करने के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर चुकी है।

और अंत में, जिसने पूर्व मुख्यमंत्री का जीभ काटनेवाले को इनाम की घोषमा की, उसके बारे में क्या ख्याल है?

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