मांझी से नाराज लोग दलित को थूक चटवाने पर कहां थे
पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने ब्राह्मणों को लेकर अपशब्द कहे। वह किसी भी तरह उचित नहीं है। लेकिन जो लोग आगबबूला हैं, उनसे भी कुछ सवाल है।
जैसे मुगल आक्रमणकारियों के लिए आज के मुस्लिमों को दोषी ठहराना गलत है, उसी तरह ब्राह्मणवादी व्यवस्था के कारण अतीत में दलितों पर हुए अत्याचार के लिए आज के ब्राह्मणों को दोष देना भी अनुचित है। सोशल मीडिया में ऐसे लोगों की भरमार है, जो पांच सौ साल पहले किसी मुगल शासक की गलत नीतियों-अत्याचार के लिए आज के मुसलमानों को बुरा-भला कहते हैं। ये कौन लोग हैं?
हम अपने लिए एक तराजू रखते हैं और दूसरों के लिए अलग। यह ठीक नहीं है। सभी के लिए मानदंड एक ही होना चाहिए। पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी का ब्राह्मणों को लेकर अपशब्द कहना बिल्कुल अनुचित है। जो लोग मांझी को लानत भेज रहे हैं, उन्हें मुगल शासकों के नाम पर आज के मुसलमानों को अपशब्द कहने का भी विरोध करना चाहिए। अगर वे विरोध नहीं करते, तो मांझी का विरोध भी उनका खोखला है। ऐसे लोग देश में हर व्यक्ति, हर जाति और हर समुदाय के साथ न्यायपूर्ण सोच नहीं रखते।
हाल यह है कि अब कुछ लोग पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी की जीभ काट लेने की धमकी दे रहे हैं। क्या यह धमकी सही है? एक तथाकथित हिंदू संगठन ने मांझी की जीभ काट कर लानेवाले को 11 लाख इनाम की घोषणा की है। हम पार्टी के प्रवक्ता दानिश रिजवान ने जवाब में कहा कि किसकी मां ने दूध पिलाया है कि मांझी की जीभ काट लेगा?
पूर्व मुख्यमंत्री मांझी अपने बयान पर सफाई दे चुके हैं। उन्होंने कहा कि वे मनुवाद-ब्राह्मणवाद के खिलाफ हैं, ब्राह्मणों को अपमानित नहीं किया। सोशल एक्टिविस्ट अमर ज्योति ने कहा-बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री @jitanrmanjhi जी के द्वारा सिर्फ ‘हरामी’ कहे जाने पर पूरे देश के ब्राह्मणों की भावनाएं आहत हो गई, जीभ काटने का फरमान और इनाम की भी घोषणा हो गई। जब दलितों का नरसंहार, बलात्कार, शोषण, भेदभाव, घोड़ी चढ़ने पर पीटा जाता हैं, थूक चटवाया जाता हैं, सामूहिक भोज से जलील करके भगाया जाता है, जाति सूचक शब्दों से संबोधित करके जलील किया जाता है, तो किसी की भावनाएं आहत क्यों नहीं होती हैं?
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