राजद प्रवक्ता मनोज झा ने संविधान की प्रति दिखाते हुए चुनाव अधिकारियों से कहा कि वे किसी के दबाव में काम न करें। राजद कार्यालय में प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि बिहार में पांच चरणों के चुनाव के बाद बदलाव की ललक स्पष्ट रूप से दिख रही है। बच्चा-बच्चा, चप्पा-चप्पा कह रहा है कि नौकरी मतलब तेजस्वी, विकास मतलब तेजस्वी जबकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मुद्दों से भटकाने के लिए अब टोटी, लोटा, भैंस, बिजली काटने और मंगलसूत्र छीनने की बात से आगे बढ़कर यह कहने लगे हैं कि उन्हें परमात्मा ने दूत के रूप में भेजा है। इस तरह की बात करने वालो को घर के लोग भी पसंद नहीं करते हैं और कहते हैं कि अब इन्हें बेहतर चिकित्सा की आवश्यकता है।
प्रो0 मनोज झा ने कहा कि प्रधानमंत्री जी बार-बार बिहार आ रहे हैं। तेजस्वी जी द्वारा जो कार्य किये गये हैं उसके कारण ही मजबूरन वो बिहार आ रहे हैं और लोगों को भ्रम में रखने का कार्य कर रहे हैं। मोदी जी हतास और निराश हो चुके हैं,इसीलिए ऐसी भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं जो जनता के मुद्दे और जनता के हितों से अलग है।
इन्होंने सारण चुनाव पर अधिकारियों से कहा कि डरिये मत और किसी के दबाव में काम मत करिये। जिस व्यक्ति की बात सुन रहे हैं वो व्यक्ति अर्श से फर्श पर जल्द ही आने वाला है। सभी अधिकारियों को भारत के संविधान पर विश्वास करके मजबूत संकल्पों के साथ बिना भेद-भाव के काम करना चाहिए। कोई भी अधिकारी संविधान के दायरे से बाहर जाकर अपने अधिकार का इस्तेमाल कर रहा है, तो उन्हें समझ लेना चाहिए कि संविधान को बचाने वाले इस तरह का प्रतिकार करेंगे। इन्होंने कहा कि सच तो यह है कि बिहार में तंत्र-मंत्र और षडयंत्र उनका है और शासन और प्रशासन भी उन्हीं का है। लेकिन भारत का संविधान सभी को बेहतर ढंग से काम करने का अधिकार देता है। अगर कोई गलत करेंगे तो उनपर निगाह है।
इन्होंने आगे कहा कि जो लोग आरक्षण व्यवस्था पर सवाल खड़ा कर रहे हैं उनको मंडल कमीशन रिपोर्ट का पेज 49 पढ़ लेना चाहिए, जिसमें आर्टिकल 15 (4), आर्टिकल 16 (4) को देख लें, उसमें स्पष्ट रूप से है कि मंडल कमीशन के रिपोर्ट के अन्तर्गत सभी धर्मों के जातियों को इसकी सुविधा प्रदान की गई है। लेकिन कुछ लोग जानबूझकर मुद्दों को भटकाने के लिए ऐसी बातें कर रहे हैं।
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पहली बार मांझी भी हिंदू-मुसलमान की सियासत पर उतरे
प्रदेश राष्ट्रीय जनता दल के मुख्य प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव ने कहा कि सभी अवगत हैं कि सरकार किस तरह की काम कर रही है। सब जानते हैं कि रिटायर्ड अधिकारी जो नाक का बाल बना हुआ है वह किस तरह से गवर्नर हाउस जाकर प्रभावित करता है यह सबको पता है। कानून को हाथ में नहीं लेना चाहिए, कानून के शिकंजे में उनको भी आज न कल आना होगा। किसके दबाव में ऐसा काम हो रहा है यह सभी जानते हैं। आचार संहिता का मापदंड है और उससे अलग जाकर कोई काम कर रहे हैं तो उनको समझ लेना चाहिए कि ऐसी स्थिति को वह अधिक दिनों तक नहीं चला सकते। सेवानिवृति के बाद भी अगर गलत कार्य कर रहे हैं तो उनपर सबकी निगाह है।