Mayawati की लाइन पर Akhilesh, कहा Cong-BJP में फर्क नहीं
ममता के बाद अखिलेश के बदले बोल। मायावती की लाइन पर आए। भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होने के सवाल पर कहा कि Cong-BJP में फर्क नहीं। बड़ा सवाल क्यों बोले ऐसा?
कुमार अनिल
सपा प्रमुख Akhilesh Yadav पहली बार बसपा प्रमुख Mayawati की लाइन पर चलते दिखे। गुरुवार को प्रेस वार्ता में पत्रकार ने पूछा कि कांग्रेस ने भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होने के लिए आपको आमंत्रित किया है, क्या आप शामिल होंगे। अखिलेश यादव ने कहा कि हमें कांग्रेस का कोई आमंत्रण नहीं मिला है। भाजपा और कांग्रेस दोनों एक हैं। सपा प्रमुख ने पहली बार कहा कि कांग्रेस और भाजपा में कोई फर्क नहीं। दोनों एक हैं।
बड़ा सवाल यह है कि क्या सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कांग्रेस और भाजपा को एक ही तराजू पर क्यों रखा? बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी एक साल पहले तक भाजपा के खिलाफ ताल ठोंक रही थीं। प्रशांत किशोर के साथ मिल कर अपनी पार्टी टीएमसी का देशभर में विस्तार करने में लगीं थीं। कई प्रांत में कांग्रेस के नेताओं को तोड़कर टीएमसी में लाया। हालांकि उन्होंने भाजपा के किसी नेता को नहीं तोड़ा। अब वही ममता बनर्जी भाजपा के खिलाफ नरम पड़ चुकी हैं। आरएसएस तक की सराहना कर चुकी हैं। उत्तर प्रदेश में मायावती भी भाजपा से ज्यादा कांग्रेस को अपना राजनीतिक दुश्मन मानती हैं। अब इस कड़ी में नया नाम अखिलेश यादव का भी जुड़ गया है। क्या है वजह, क्या कांग्रेस में आई नई जान से उन्हें अपने लिए कोई खतरा नजर आ रहा है या भाजपा ने उन्हें भी ‘ममता’ बना दिया है यानी किसी दबाव में झुका दिया है?
"BJP और कांग्रेस दोनों एक हैं" : @yadavakhilesh pic.twitter.com/xUr8rrBGxB
— News24 (@news24tvchannel) December 29, 2022
यहां दो बातों पर गौर करना जरूरी है। पहला, आजमगढ़, रामपुर में मुस्लिम मतदाओं की सपा से बढ़ी दूरी। दोनों सीट सपा की गढ़ रही है, लेकिन दोनों जगह सपा हारी और भाजपा जीती। मुस्लिम मतदाताओं में सपा से नाराजदी साफ दिखी। दिल्ली एमसीडी में मुस्लिम मतदाताओं का एक हिस्सा केजरीवाल की आप को छोड़ कर कांग्रेस की तरफ आया। और दूसरी खास बात यह है कि 90 के दशक में कांग्रेस का जनाधार छीन कर ही सपा का विकास हुआ। सपा ने भाजपा के वोट को नुकसान नहीं पहुंचाया, बल्कि कांग्रेस के वोट को तोड़ा। इनमें मुस्लिम आधार भी है। दलित मतदाताओं को बसपा ने तोड़ा। मुख्यतः इन दो सवालों के उत्तर में ही कांग्रेस और भाजपा को एक बताने का राज छिपा है। संभव है उन पर कोई दबाव भी हो, पर इसका कोई प्रमाण नहीं है, इसलिए दावे के साथ कुछ नहीं कहा जा सकता।
इसमें कोई शक नहीं कि भारत जोड़ो यात्रा को काफी समर्थन मिल रहा है। इसमें भी कोई शक नहीं कि इस सफता से भाजपा में परेशानी दिख रही है। इसीलिए भाजपा राहुल गांधी पर खूब हमले कर रही है। उसे मालूम है कि आज या कल केवल कांग्रेस और खासकर राहुल गांधी ही भाजपा को चुनौती दे सकते हैं। क्षेत्रीय दलों को डराना या जीतना या तोड़ना संभव है। उन्हें अपने हिसाब से इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन कांग्रेसमुक्त भारत का नारा अब नहीं चल सकता। हाल के दिनों में भाजपा के नेता कांग्रेस मुक्त भारत का दावा करना भूल गए हैं।
जिस तरह कांग्रेस के उभार से भाजपा को खतरा है, उसी तरह राहुल के उभार से क्षेत्रीय दलों के नीचे की जमीन भी खिसक सकती है।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव इतना कह सकते थे कि हमारी विचारधारा अलग है और हम अपने तरह से भाजपा की सांप्रदायिक राजनीति के खिलाफ लड़ेंगे। पर उन्होंने यह नहींकहा, बल्कि कांग्रेस और भाजपा को समान बता दिया। इस तरह भाजपा के खिलाफ सांप्रदायिक राजनीति के आरोप को भी धुंधला कर दिया।
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