मायावती ने त्याग दी विचारधारा, संविधान से छेड़छाड़ के लिए विपक्ष को बताया जिम्मेदार
मायावती ने त्याग दी विचारधारा, संविधान से छेड़छाड़ के लिए विपक्ष को बताया जिम्मेदार। विपक्ष ने इंडिया गठबंधन नाम रख संविधान बदलने का भाजपा को दिया मौका।
बसपा प्रमुख मायावती ने भाजपा द्वारा संविधान बदलने की कोशिश के लिए विपक्षी गठबंधन इंडिया को जिम्मेदार बताया है। उन्होंने बुधवार को लखनऊ में एक प्रेस वार्ता में कहा कि विपक्ष ने अपने गठबंधन का नाम इंडिया रखकर भाजपा को मौका दिया कि वह संविधान से इंडिया शब्द हटाए। उन्होंने कहा कि भारत और इंडिया की बहस में सत्ता पक्ष और विपक्ष की मिलीभगत है।
पिछले कई महीनों से देखा जा रहा है कि बसपा प्रमुख मायावती जब भी बोलती है या कोई कदम उठाती हैं, तो उससे स्पष्ट तौर पर भाजपा को फायदा होता है। लोकसभा चुनाव के लिए वे कह चुकी हैं कि बसपा उप्र के सभी 80 लोकसभा क्षेत्रों में अपना प्रत्याशी देगा। साफ है इससे भाजपा को फायदा होगा। अब संविधान बदलने की भाजपा की कोशिशों के लिए भी उन्होंने विपक्ष को ही जिम्मेदार बता दिया।
बसपा की स्थापना कांसीराम ने की थी। वे सामाजिक न्याय के लिए संघर्ष करते रहे। दलितों के मुद्दे उठाते रहे। अब हाल के वर्षों में मायावती उस राह से भटक गई लगती हैं। दलितों पर अत्याचार के मामले पर भी वे कभी न खुद विरोध में उतरती हैं और न ही बसपा लड़ती दिखती है। अब तो खुलेआम संविधान को बदल देने की मांग करने वाले सामने आ गए हैं, लेकिन बसपा प्रमुख कभी उस मुद्दे पर नहीं बोलतीं। इन बातों को लेकर अब उनकी आलोचना भी होने लगी है।
इसी का नतीजा है कि 2022 में यूपी विधानसभा चुनाव में बसपा सिर्फ एक सीट पर सिट कर रह गई। इसी बसपा ने कभी उप्र में सरकार बनाई थी। दलित खेमे में भी बसपा की इस हात को लेकर चिंता है। अब मायावती ने 2024 में अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है, जाहिर है अकेले उनका खाता खुलेगा या नहीं, इस पर कुछ कहा नहीं जा सकता। वे खुद भी कोई दावा करने की स्थिति में नहीं हैं।
इस बीच चंद्रशेखर की लोकप्रियता बढ़ रही है। अब देखना है कि उप्र मेें क्या दलित राजनीति हाशिये की शक्ति बन कर रह जाएगा या दलित राजनीति राज्य की प्रमुख राजनीतिक धारा बनी रहेगी।
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