देश की राजधानी दिल्ली के राजनीतिक गलियारे में अचानक एक चर्चा तेज हो गई है कि बसपा प्रमुख मायावती इंडिया गठबंधन की तरफ से प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवार होंगी। इस चर्चा से इंडिया गठबंधन के दलों और समर्थकों में उत्साह आ गया है, वहीं स्पष्ट है कि यह चर्चा भाजपा के लिए चिंता में डालने वाली है। मायावती के प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवार बनने की खबर कई डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म पर चलने लगी है। हालांकि मुख्यधारा की मीडिया ने इस चर्चा को अभी तक तवज्जो नहीं दी है और शायद इस खबर पर वह चर्चा नहीं ही करे।

इसी के साथ मायावती के इंडिया गठबंधन में शामिल होने की फिर से चर्चा होने लगी है। उत्तर प्रदेश में लोकसभा की 80 सीटें हैं। अगर उत्तर प्रदेश में केवल 30 से 35 सीटें ही भाजपा की कम हो गईं, तो भाजपा के तीसरी बार सत्ता में आने की राह मुश्किल हो जाएगी।

राजनीतिक विश्लेषक पहले से कहते रहे हैं कि अगर मायावती इंडिया गठबंधन में शामिल हो गईं, तो भाजपा का सारा गणित बिगड़ जाएगा। अबतक सपा और कांग्रेस का ही गठबंधन हुआ है। मायावती अगर विपक्षी गठबंधन का हिस्सा बन गईं, तो सपा, बसपा और कांग्रेस का गठबंधन भाजपा पर भारी पड़ेगा। कहा जा रहा है कि मायावती को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने की पहल सोनिया गांधी ने की। इस पर दो नेताओं का विरोध था, लेकिन उन्हें मना लिया गया है। मायावती को प्रधानमंत्री प्रत्याशी बनाए जाने पर सहमति बन गई है। इसकी घोषणा चुनाव की घोषणा होते ही हो सकती है।

मायावती के प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनने से न सिर्फ उत्तर प्रदेश का गणित और राजनीति बदल जाएगी, बल्कि देशभर के दलित इंडिया गठबंधन के साथ एकजुट हो सकते हैं। इसका असर बिहार, हरियाणा, पंजाब, मध्य प्रदेश और राजस्थान में भी पड़ेगा। यह भी कहा जा रहा है कि मायावती की पार्टी बसपा के लिए कांग्रेस मध्य प्रदेश तथा राजस्थान में भी सीटें छोड़ रही है। मायावती के इंडिया गठबंधन से जुड़ने तथा प्रधानमंत्री पद का प्रत्याशी होने पर इसका स्तर राष्ट्र व्यापी होगा, ऐसा माना जा रहा है।

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