MCD : दिल्ली में हिंदुओं ने ही भाजपा के नफरती महल को ढाहा

दिल्ली ने साबित कर दिया कि हिंदुओं की पार्टी मतलब भाजपा नहीं होता है। MCD चुनाव में हिंदुओं ने ही भाजपा के नफरती महल को ढाह दिया।

वर्षों से एक विचार थोपा जा रहा है कि हिंदू मतलब भाजपा। यह विचार नहीं चला। भाजपा तथा प्रमुख टीवी लगातार देश में हिंदू-मुस्लिम, पाकिस्तान, रोहिंग्या की चर्चा करके जनता के असली मुद्दों को पीछे धकेल देते हैं। लेकिन दिल्ली एमसीडी चुनाव में मतदाता किसी नफरती हवा के शिकार नहीं हुए तथा जिसे समझा कि वह हमारी समस्याओं को दूर करेगा, बुनियादी सुविधा देगा, उसे वोट दिया।

दिल्ली की कुल आबादी दो करोड़ है, जिसमें मुसलमान आबादी 15 प्रतिशत है। लगभग 85 फीसदी आबादी हिंदू है। इसके बावजूद एमसीडी चुनाव में भाजपा का 15 वर्ष से जारी कब्जा ढह गया, तो स्पष्ट है कि हिंदुओं की बड़ी आबादी ने ही भाजपा के हिंदुत्व को नकार दिया।

दिल्ली एमसीडी में कुल 250 वार्ड हैं। कांग्रेस ने सबसे ज्यादा 24 मुस्लिम प्रत्याशी मैदान में उतारे थे। आप ने सात तथा भाजपा ने चार मुस्लिम प्रत्याशी उतारे थे। ओवैसी की पार्टी AIMIM ने भी 15 प्रत्याशी उतारे थे। साफ है प्रत्याशी के लिहाज से भी देखें, तो मुस्लिम प्रत्याशी बहुत कम थे। इसके बावजूद आप को स्पष्ट बहुमत मिलना बताता है कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की जनता ने हिंदू-मुस्लिम नफरत के आधार पर वोट नहीं दिया, बल्कि यह देखा कि दिल्ली को बेहतर करने के लिए कौन दल या कौन प्रत्याशी उचित है।

दिल्ली एमसीडी चुनाव में आप को 42 प्रतिशत वोट मिले, जबकि भाजपा को 39 प्रतिशत मत मिले। स्पष्ट है कि 62 प्रतिशत हिंदुओं ने भाजपा को वोट नहीं दिया, बल्कि आप, कांग्रेस व अन्य को दिया।

इधर एमसीडी परिणाम आने के बाद सोशल मीडिया पर भाजपा समर्थक बौखलाए दिख रहे हैं। वे परिणाम आने के बाद भी नफरती मैसेज पोस्ट कर रहे हैं। यह बौखलाहट भी साबित करती है कि वे जो धारणा बनाने की कोशिश कर रहे थे कि हिंदू मतलब भाजपा, वह नहीं बना और लोगों ने धार्मिक आधार पर नहीं, कामकाज के आधार पर वोट दिया।

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