दिल्ली की एक अदालत ने नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता और सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर को मानहानि मामले में दोषी करार दिया है। उनके खिलाफ वीके सक्सेना ने वर्ष 2001 में मानहानि का मामला दर्ज किया था। सक्सेना वर्तमान में दिल्ली के एलजी हैं। 2001 में जब सक्सेना ने मामला दर्ज कराया था, तब वे अहमदाबाद आधारित एक एनजीओ नेशनल काउंसिल ऑफ सिविल लिबर्टीज के संयोजक थे।
दिल्ली के साकेत कोर्ट के मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट राघव शर्मा ने मेधा पाटकर को आईपीसी के सेक्शन 500 के तहत आपराधिक मानहानि का दोषी पाया। जानकारों के मुताबिक मेधा पाटकर को दो साल की सजा या आर्थिक जुर्माना अथवा दोनों हो सकता है।
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द हिंदू की खबर के मुताबिक वीके सक्सेना तथा मेधा पाटकर के बीच पिछले 24 वर्षों से मुकदमे चल रहे हैं। पाटकर ने वर्ष 2000 में वीके सक्सेना के खिलाफ मामला दर्ज कराया था। उन्होंने सक्सेना पर आरोप लगाया था कि सक्सेना ने नर्मदा बचाओ आंदोलन तथा उन्हें बदनाम करने के लिए विज्ञापन छापा। इसके अगले साल वर्ष 2001 में वीके सक्सेना ने भी पाटकर के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराया। उन्होंने पाटकर पर टीवी डिबेट में उनके खिलाफ बयान देने तथा प्रेस में वक्तव्य देने का आरोप लगाया।