आतंकवाद पर क्या है इस्लाम का आधुनिक नजरिया
आतंकवाद के प्रति इस्लामी धर्मशास्त्र और इसका नजरिया कट्टरपंथी विचार के लीडरों के विपरीत है. शरिया की दृष्टि से भी इस बात की पुष्टि होती है. आतंकवाद के संबंध में कुरान में इसका उल्लेख भी मिलता है.
जो कोई भी अल्लाह और उसके रसूल के खिलाफ युद्ध करता है उसका बदला उसे मिलेगा. और उसका बदला उसके कत्ल के रूप में होगा. या उसे सूली पर चढ़ाया जायेगा या फिर उसके हाथ व पांव काट लिये जायेंगे. या फिर उसे मुल्कबदर किया जायेगा. (5-33-34)
यहां एक अपराध का उल्लेख किया गया है. इस्लाम का कानून विज्ञान हिराबा का जिक्र करता है जिसका अर्थ डाकाजनी होता है. समझा जाता है कि अरबी में हर्ब-यानी युद्ध के रूप में इसकी व्याख्या मिलती है.
इस्लाम के आधुनिक स्कॉलरों का विचार है कि ये दोनों कंसेप्ट एक हद तका सामान हैं और उसका मतलब है कि राज्य की शक्ति को नकारना. राज्य की सुरक्षा उसकी स्थाइत्व और उसके सामाजिक व आर्थिक आधार को नकार देना. ये सारी बातें दर असल अल्लाह और उसके रसूल के खिलाफ उठ खडे होने जैसी हैं.
कुछ मुस्लिम विद्वानों का मानना है कि आधुनिक समय के मुस्लिम आतंकवादियों को महज राह से भटका हुआ मान लेना उचित नहीं है. दर असल ये ऐसे अपराधी हैं जो अल्लाह और उसके रसूल के खिलाफ युद्धरत हैं. लिहाजा कुरान की रौशनी में उनकी जिम्मेदारी तय होगी. और उनके अपराध की जवाबदेही तय होगी. और ऐसे अपराध की प्रेरणा देने वाले, प्रायोजित करने वाले और संगठित करने वालों के अपराध एक समान होंगे.