प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि 1982 में गांधी फिल्म के पहले गांधी को कोई नहीं जानता था। फिल्म आने के बाद लोगों की जिज्ञासा हुई कि ये कौन है। प्रधानमंत्री के ऐसा कहने पर सोशल मीडिया में लोग उन्हें लगातार आईना दिखा रहे हैं। 1931 में गोलमेज सम्मेलन में शामिल होने के लिए जब गांधी लंदन पहुंचे, तो उन्हें देखने-सुनने हजारों लोग जमा हुए। उस समय के दृश्य से लेकर मार्टिन लूथर किंग के बयान सहित अनेक दृष्टांत लोग पेश करके महात्मा गांधी के बारे में प्रधानमंत्री की जानकारी का मजाक उड़ा रहे हैं।
कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रीया श्रीनेत ने कहा कोई नहीं जानता था महात्मा गांधी को. पहली बार जब गांधी फिल्म बनी तब दुनिया को जिज्ञासा हुई कि ये कौन है?” यह कहना है नरेंद्र मोदी का, दुर्भाग्य है कि ऐसा आदमी इस देश का प्रधानमंत्री चुना गया। अरे स्वयंभू प्रभु मोदी, दुनिया में आपकी और हर हिंदुस्तानी की पहचान इस बात से होती है कि वो गांधी के देश से है। गांधी ने नेल्सन मंडेला और मार्टिन लूथर जूनियर को नस्लवाद के ख़िलाफ़ लड़ने के लिए प्रेरित किया। गांधी इस देश की ही नहीं विश्व की नैतिक धुरी हैं – वह सत्य और असत्य, न्याय और अन्याय, हिंसा और शांति, साहस और कायरता के बीच में खड़ी हुई चट्टान हैं लेकिन नाथूराम गोडसे के आपके जैसे उपासक ना कभी गांधी ना उनकी विराटता को समझ सकते हैं ।
राहुल गांधी ने कहा कि सिर्फ ‘एंटायर पॉलिटिकल साइंस’ के छात्र को ही महात्मा गांधी के बारे में जानने के लिये फिल्म देखने की ज़रूरत रही होगी। सोशल मीडिया में राहुल गांधी के इस कथन को हजारों बार रिट्वीट किया गया है। लोगों का मानना है कि यह गांधी को एक बार फिर से नीचा दिखाने की कोशिश है, जबकि गांधी की विचारधारा देश के रग-रग में है। उन्होंने ही सत्य के लिए शांतिपूर्वक प्रतिकार करना सिखाया।