प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सीधे-सीधे झूठ बोला। कहा कि कांग्रेस देश का धन मुसलमानों को दे देगी। वह मगंलसूत्र भी छीन लेगी। सच्चाई ये है कि मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री रहते कहा था कि उनकी प्राथमिकता स्पष्ट है कृषि, सिंचाई, शिक्षा, स्वास्थ्य है और इसके लिए आदिवासी, दलित, पिछड़े, अल्पसंख्यक, महिला तथा बच्चों के लिए योजनाएं बनाई जाएंगी। देश के संसाधनों पर पहला हक इनका है। मनमोहन सिंह के इस बयान में सबसे पहले दलित, आदिवासी की बात है, लेकिन उसे छोड़ कर सिर्फ मुसलमानों में देश की संपत्ति बांट देने की बात कहना सरासर झूठ है। प्रधानमंत्री सीधे-सीधे हिंदू-मुस्लिम में तनाव पैदा करना चाहते हैं। वे चाहते हैं कि हिंदुओं को मुसलमानों के खिलाफ भड़काया जाए। प्रधानमंत्री ने यह वक्तव्य कल राजस्थान में दिया, जिसका देशभर में विरोध हो रहा है।

अधिकतर लोगों का मानना है कि प्रधानमंत्री मोदी को मालूम हो गया है कि वे चुनाव हार रहे हैं और हताशा में अपने असली रंग में आ गए हैं। उन्हें पता चल गया है कि लोग बेरोजगारी, महंगाई से नाराज हैं और धर्म के नाम पर लोग वोट नहीं दे रहे हैं। पूर्व राज्यपाल सतपाल मलिक ने कहा था कि प्रधानमंत्री चुनाव जीतने के लिए कुछ भी कर सकते हैं। चुनाव आयोग इस हेट स्पीच पर खामोश है और लोगों को उससे कोई उम्मीद भी नहीं है।

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कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा देश में बेरोज़गारी और महंगाई का पीक है, और नरेंद्र मोदी कहते हैं सब कुछ ठीक है। उनके पास ‘मुद्दों से भटकाने’ की नई-नई तकनीक हैं, पर झूठ के कारोबार का अंत अब नज़दीक है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि आज मोदी जी के बौखलाहट भरे भाषण से दिखा कि प्रथम चरण के नतीजों में INDIA जीत रहा है। मोदी जी ने जो कहा वो Hate Speech तो है ही, ध्यान भटकाने की एक सोची समझी चाल है। प्रधानमंत्री ने आज वही किया जो उन्हें संघ के संस्कारों में मिला है। सत्ता के लिए झूठ बोलना, बातों का अनर्गल संदर्भ बनाकर विरोधियों पर झूठे आरोप मढ़ना यह संघ और भाजपा की प्रशिक्षण की ख़ासियत है। देश की 140 करोड़ जनता अब इस झूठ के झाँसे में नहीं आने वाली। हमारा घोषणापत्र हर एक भारतीय के लिए है।सबकी बराबरी की बात करता है। सबके लिए न्याय की बात करता है। कांग्रेस का न्याय पत्र सच की बुनियाद पर टिका है, पर लगता है Goebbels रूपी तानाशाह की कुर्सी अब डगमगा रही है। भारत के इतिहास में किसी भी प्रधानमंत्री ने अपने पद की गरिमा को इतना नहीं गिराया, जितना मोदी जी ने गिराया है।

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