चार दिन पहले विजयादशमी के दिन आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत ने वाल्मीकि जयंती मनाने का आह्वान किया था, लेकिन वे खुद ही किसी कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह के भी किसी कार्यक्रम में शामिल होने की सूचना नहीं है। भागवत ने तब अपने संबोधन में कहा था कि कि वाल्मीकि ने रामायण पूरे हिंदू समाज के लिए लिखी, फिर उनकी जयंती केवल वाल्मीकि समाज ही क्यों मनाए। सभी हिंदुओं को उनकी जयंती मनानी चाहिए।
नौकरशाही डॉट कॉम ने आरएसएस के ट्विटर हैंडर को चेक किया, तो वहां ऐसी कोई सूचना नहीं है, जिसमें मोहन भागवत ने वाल्मीकि जयंती मनाई हो। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुभकामना दी है, लेकिन किसी कार्यक्रम में शामिल होने की जानकारी नहीं हैं। पीआईबी ने भी प्रधानमंत्री की शुभकामना की जानकारी दी है, लेकिन उसमें इस बात का उल्लेख नहीं है कि वे किसी कार्यक्रम में शामिल हुए।
इधर विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने वाल्मीकि समाज के प्रतिनिधियों से मुलाकात की और एक वाल्मीकि मंदिर गए तथा अपनी श्रद्धा जताई। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे भी वाल्मीकि मंदिर गए। खड़गे ने वाल्मीकि मंदिर के बाहर पत्रकारों से कहा कि वाल्मीकि जयंती पर मैं यहां दर्शन करने आया हूं। मैं पूरे वाल्मीकि समाज को शुभकामनाएं देता हूं। देशभर में शिक्षा के स्तर और आर्थिक रूप से वाल्मीकि समाज काफी कमजोर है। जब हम सभी उनके सामाजिक और आर्थिक न्याय के लिए सोचेंगे, तभी वे लोग आगे बढ़ पाएंगे। जब दलित समाज मनुष्य बल, मानसिक बल और आर्थिक बल के स्तर पर मजबूत होंगे, तभी समाज में सुधार आएगा। इसलिए हमने संविधान और लोकतंत्र बचाने का अभियान शुरू किया है। इनके सुरक्षित रहने से ही देश में मजबूती आएगी।
बसपा प्रमुख मायावती और लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान भी वाल्मीकि समाज के किसी कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए। मायावती ने जयंती पर शुभकामनाएं दी हैं। चिराग पासवान के ट्विटर हैंडल से वाल्मीकि जयंती की शुभकामनाएं भी नहीं दी गई हैं।