मुकेश सहनी को निषादों पर ही भरोसा नहीं, गंगा जल से दिलाई शपथ

मुकेश सहनी को निषादों पर ही भरोसा नहीं, गंगा जल से दिलाई शपथ। वोट नहीं बेचने की दिलाई शपथ। भाजपा ने ठुकराया। संकट में सहनी का अस्तित्व।

वीआईपी के अध्यक्ष मुकेश सहनी ने मंगलवार को निषादों के सम्मेलन में गंगा जल देकर शपथ दिलाई। शपथ दिलाई कि हम निषाद पैसे की खातिर अपना वोट नहीं बेचेंगे। साफ है उन्हें इस बात का डर है कि उनके वोटर किसी दूसरे दल को वोट दे सकते हैं। वे जिस जाति का नेता होने का दावा करते हैं, लगता है उन्हें उसी पर भरोसा नहीं रहा।

वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए के साथ थे, लेकिन हाल में दिल्ली में हुई एनडीए की बैठक में उन्हें नहीं बुलाया गया। वे महागठबंधन सरकार की आलोचना करते रहे हैं। एक समय वे महागठबंधन के नजदीक थे, लेकिन बाद में भाजपा के करीबी हो गए। जब भाजपा ने भी ठुकरा दिया, तब उनके सामने अस्तितव का संकट खड़ा हो गया है।

2014 लोकसभा चुनाव में इंडिया और एनडीए के बीच तीखा चुनावी संघर्ष होना तय है। इन दो गठबंधनों के बीच ही वोटों का ध्रुवीकरण होना तय है। ऐसे में मुकेश सहनी के कोर वोटर उन्हें छोड़ सकते हैं। उनके लिए अपने कोर वोटों को एकजुट रखना चुनौती है, इसीलिए उन्होंने आज अपने समर्थकों के हाथ में गंगा जल रख कर शपथ दिलाई कि वे वोट किसी दूसरे दल को नहीं देंगे।

याद रहे पिछले साल कुढ़नी विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव में मुकेश सहनी ने अपना प्रत्याशी खड़ा किया था। यहां भाजपा जीती थी। तब उन्होंने भाजपा प्रत्याशी को जीत पर बधाई दी थी और कहा था कि कुढ़नी उप चुनाव से साबित हो गया कि निषादों का वोट निषादों के बेटे के साथ है। उन्होंने इस बात पर भी खुशी जताई थी कि उनके कहने पर निषादों ने सवर्ण प्रत्याशी को वोट दिया। वीआईपी के प्रत्याशी को लगभग 10 हजार वोट मिले थे।

बाद में उन्हें उम्मीद थी कि भाजपा उन्हें राज्यसभा भेजेगी, लेकिन भाजपा ने ऐसा नहीं किया। इसके बाद भी वे भाजपा के साथ ही बने रहे। अब उन्हें एनडीए की बैठक में भी नहीं बुलाया गया, तो उनके जनाधार के बिखरने का खतरा उत्पन्न हो गया है।

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