मुश्किल में मोदी, MSP पर कल दिल्ली में जुटेंगे किसान

26 नवंबर को किसान आंदोलन का एक साल पूरा हो रहा है। इस अवसर पर पंजाब-हरियाणा, प. यूपी समेत कई राज्यों के किसान दिल्ली में जुटेंगे। अब MSP मुद्दा।

कल दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का रैला होगा। 26 नवंबर को किसान आंदोलन का एक साल पूरा हो रहा है। इस अवसर पर किसान फिर गरजेंगे। अब उनका पूरा जोर एमएसपी पर है। किसानों की मांग एमएसपी को कानूनी दर्जा देने की है।

अब एमएसपी के खिलाफ प्रचार करने में गोदी मीडिया पूरी तरह जुट गया है। टीवी चैनलों पर बताया जा रहा है कि एमएसपी देने से देश की अर्थव्यवस्था बर्बाद हो जाएगी। यह विरोधाभास देखिए कि खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के सभी बड़े नेता कहते रहे हैं कि एमएसपी थी, है और रहेगी। सवाल है कि फिर मीडिया इसके विरोध में क्यों खड़ा हो गया है।

यही मीडिया जब सरकारी कर्मियों को सातवें वेतनमान देने की बात हुई, तो बता रहा था कि इससे अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी। देश में मांग बढ़ेगी, जिससे उत्पादन बढ़ेगा और रोजगार मिलेगा। अब वही मीडिया किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य देने के खिलाफ खड़ा हो गया है। किसान कह रहे हैं कि किसानों को फसल की न्यूनतम कीमत मिलने से भी अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी। वे कह रहे हैं कि यह जरूरी नहीं है कि सारी फसल सरकार ही खरीदे। किसान चाहते हैं कि सरकार यह गारंटी करे कि किसान की फसल न्यूनतम कीमत से कम पर कोई नहीं खरीदे।

किसान एकता मोर्चा ने कहा कि सरकार के अहंकार और किसान विरोधी नीति के कारण इतना लंबा आंदोलन चला। कल आंदोलन के एक वर्ष पूरा होने पर किसान अपने संघर्ष को भी याद करेंगे। किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि-अभी किसान कहीं नहीं जायेगा, MSP पर भी कानून बन कर रहेगा। अब एमएसपी को लेकर छिड़े आंदोलन ने केंद्र की नरेंद् मोदी सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।

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