इमारत, जमियत, इस्लामी जमात ने कहा CAB बिल देश के लिए घातक

इमारत, जमियत, इस्लामी जमात ने कहा CAB बिल देश के लिए घातक

बिहार के अनेक मुस्लिम संगठनों ने प्रेस कांफ्रेंस करके नागरिकता संशोधन विध्यक के खिलाफ आवाज उठाई और कहा है कि यह कानून भारत के लिए खतरनाक है.

फुलवारी शरीफ (10/12/2019 ) नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 के विरुद्ध बिहार के मुस्लिम संगठनों ने एक साझा प्रेस कान्फ्रेंस कर के कहा कि नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 जिसे लोक सभा में भाजपा ने अपनी संख्या बल के आधार पर पास करवा लिया है यह भारतीय संविधान की आत्मा एवं उस की बुनियादी धाराओं के विरुद्ध है ।

सैयद रूमी इमाम की रिपोर्ट

 

संविधान की धारा 14 एवं 15 में भारत के सभी नागरिकों को बराबर अधिकार दिये गए हैं एवं उस में धर्म के आधार पर किसी विभाजन एवं भेद भाव को सही नहीं करा दिया गया है। नागरिक्ता संशोधन विधेयक 2019 में बिना किसी दस्तावेज़ के गैर कानूनी तौर पर आने वाले हिन्दू, सिख , बौद्ध, जैन, पारसी एवं ईसाई समुदाय के लोगों को नागरिकता दिये जाने की बात कही गई है । इस लिस्ट से केवल मुसलमानों को अलग रखा गया है जो सरासर धर्म के आधार पर विभाजन एवं भेदभाव है ।

बिल लिया जाये वापस

 

इस लिए केंद्र सरकार से हमारी मांग है कि वह तुरंत इस बिल को वापिस ले एवं राज्य सभा में प्रस्तुत न करे। क्यूंकी यह मामला केवल मुसलमानों का नहीं है बल्कि भारत के संविधान के रक्षा से जुड़ा हुआ है साथ ही देश की सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी यह बिल बहुत ही घातक है। दूसरी बात यह है कि सरकार ने इस बिल को पेश करते हुए धार्मिक आधार पर प्रताड़णा को आधार बनाया है अगर यह बात सही है तो भारत के पड़ोसी देश केवल पाकिस्तान, बंगलादेश एवं अफगानिस्तान ही नहीं है बल्कि नेपाल, श्रीलंका, तिब्बत, चीन एवं मयांमार इत्यादि भी हैं जहां से धार्मिक आधार पर प्रताड़ित होने वालों ने पलायन किया है बिल में उन का भी उल्लेख होना चाहिए।

 

श्रीलंका में हजारों की संख्या में तमिल प्रताड़ित हुए हैं मायांमार में रोहंगिया मुसलमानों को धर्म के आधार पर प्रताड़ित किया गया। तिब्बत में दलाई लामा एवं उन के अनुयाइयों को प्रताड़ित किया गया जिस की वजह से वह आज भी भारत में शरण लिए हुए हैं। नेपाल से सैकड़ों गोर्खा पलायन कर के आए हैं। उन का उल्लेख क्यूँ नहीं किया गया अगर प्रताड़णा ही आधार है? हम समझते हैं कि यह बिल बड़े पैमाने पर त्रुटियों एवं धार्मिक पक्षपात से भरा हुआ है। इस लिए हम सब मुस्लिम संगठनों,देश के सभी सेकुलर नागरिकों, राजनीतिक पार्टियों एवं संविधान पर आस्था रखने वाले हर संवेदनशील व्यक्ति का यह नैतिक दायित्व है कि इस विधेयक का सख्ती से विरोध करें ।

अमित शआह पर भरोसा नहीं

हम यह भी स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि हम उन सभी सेकुलर लोगों एवं उत्तरपूर्व के उन सभी राज्यों के साथ हैं जो इस विधेयक का विरोध कर रहे हैं ।एवं उन सभी राजनैतिक पार्टियों की प्रशंसा करते हैं जिन्हों ने इस विधेयक के भयानक और धर्म के आधार पर भेदभाव करने के सरकार की चेष्टा को समय पर समझा एवं लोक सभा में इस विधेयक के विरुद्ध दलीलें दीं और उसे नकारा । हम उत्तरपूर्व के उन सभी राज्यों की आशंकाओं को सही समझते हैं जो इस विधेयक के विरुद्ध आन्दोलन कर रहे हैं । इस संबंध में गृह मंत्री अमित शाह के इस बयान पर भरोसा नहीं करना चाहिए जो वह उत्तरपूर्व के उन राज्यों के बारे में कह रहे हैं कि उन को इस अधिनियम से अलग रखा जाएगा । सरकार की मंशा अगर यही होती तो विधेयक में ही उस को स्पष्ट किया जाता । हालांकि ऐसा नहीं किया गया । यह विधेयक लोक सभा से पास हो गया है एवं सभी के सामने है लोक सभा में दिया गया कोई ब्यान एवं किसी प्रकार का असश्वासन कानून के समकक्ष नहीं होता एवं उस की कोई हैसियत नहीं होती । केवल उस को पार्लियामेंट की बहसों का हिस्सा बना कर बाक़ी रखा जाता है ।

हम सभी मुस्लिम संगठनों के जिम्मेदारों का कहना है कि हमें जनता दल यूनाइटेड से ऐसी आशा नहीं थी कि वह भी सांप्रदायिक आधार पर आधारित इस नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 के पक्ष में वोट डालेगी। अब भी समय है जदयु से हमारी मांग है कि वह राज्य सभा में हर स्तर पर इस विधेयक का खुला विरोध करे और ऐसा प्रयास करे कि यह विधेयक राज्य सभा से पास न हो ताकि न्याय एवं संविधान का वर्चस्व सुरक्षित रहे ।

हम सभी मुस्लिम संगठन इस बात पर संतोष व्यक्त करते हैं कि विभिन्न स्तर पर बिहार एवं बिहार के बाहर इस विधेयक के विरोध में प्रदर्शन एवं धरना आरंभ हो गया है एवं अलग अलग स्तर से विभिन्न लोगों के द्वारा सामूहिक एवं व्यक्तिगत रूप से प्रयास किए जा रहे हैं सरकार को इस आवाज़ और उन की भावनाओं को समझना चाहिए । हम आशा करते हैं कि हर स्तर से इस विधेयक के विरुद्ध उठने वाली आवाज़ से कोई रास्ता इस विधेयक को वापिस लेने का निकल सकेगा ।इस संबंध में हमारी मांग है कि

1. भाजपा नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 को वापिस ले एवं उस को राज्य सभा में पेश न करे।

2. सरकार भारत के संविधान पर अमल करे एवं इस विधेयक के द्वारा देश को नए विभाजन की आग में न झोंके ।

3. देश की सभी राजनैतिक पार्टियां इस विधेयक का विरोध जारी रखें , राज्य सभा में इस विधेयक का खुला विरोध करते उए इस के विरुद्ध अपना वोट डालें एवं इस को राज्य सभा में पास होने से रोकें ।

4. देश से प्रेम करने वाले एवं संविधान पर आस्था रखने वाले सभी देशवासियों से अपील है कि वह देश एवं संविधान की रक्षा के लिए सामने आयें और लोकतंत्र में दिये गए अधिकारों का प्रयोग करते हुए सशक्त रणनीति बनाएँ ।

इस साझा प्रेस कान्फ्रेंस में इमारत शरियाह बिहार ओड़ीशा एवं झारखंड के कार्यवाहक सचिव मौलाना मुहम्मद शिबली कासमी , हुस्न अहमद कादरी सचिव जमीयत उलमा बिहार, रिजवान अहमद इसलाही अमीर जमाते इस्लामी बिहार , शकील अहमद कासमी इमाम व खतीब शाह गद्दी मस्जिद , अबुल कलाम कासमी शमसी पूर्व प्राचार्य मदरसा शमसूल होदा पटना, अंवारुल होदा मूलस्लिम मजलिसे मोशावरत पटना , सहह तकिउद्दीन फिर्दौसी मनेर शरीफ , मौलना एजाज करीम अध्यक्ष तंज़िम-ए- अइम्मा-ए- बिहार, मुफ़्ती सनाउल होदा कासमी उप सचिव इमारत शरिया , मौलाना सोहेल अहमद नदवी उप सचिव इमारत शरिया, मौलाना सोहराब नद्वी उप सचिव इमारत शरिया इत्यादि के इलावा कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे

By Editor


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