दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को करारी हार मिली है। पार्टी सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल खुद चुनाव हार गए हैं। मनीष सिसोदिया को भी हार का मुंह देखना पड़ा। मुख्यमंत्री आतिशी ने पार्टी की थोड़ी लाज बचाई। वे चुनाव जीत गई हैं।
दिल्ली में सात सीटें मुस्लिम बहुल मानी जाती हैं। मुस्लिम बहुल का मतलब यहां बहुमत तो गैर मुस्लिम ही होते हैं, पर मुस्लिमों की आबादी 20 प्रतिशत या उससे कुछ ज्यादा है। ये सीत सीटें हैं मुस्तफाबाद, चांदनी चौक, मटिया महल, बाबरपुर, सीलमपुर, ओखला और बल्लीमारन। अब तक मिल रही जानकारी के अनुसार मुस्लिम मतदाताओं में केजरीवाल से नाराजगी साफ दिखी लेकिन उन्होंने अपना वोट आम आदमी पार्टी को ही दिया। ऐसा इसलिए क्योंकि वही पार्टी थी जो भाजपा के खिलाफ मजबूत थी और उसे हरा सकने की स्थिति में थी।
मुस्तफाबाद सीट शुरू से भाजपा के लिए मुफीद मानी जा रही थी। यहां भाजपा के मोहन सिंह बिष्ट चुनाव जीत गए हैं। सीलमपुर में आप के चौधरी जुबैर अहमद चुनाव जीत गए हैं। चांदनी चौक से आप उम्मीदवार पुनरदीप सिंह सहनी जीत गए हैं। इसी तरह मटिया महल से आप के ही आले मोहम्मद चुनाव जीत गए हैं। बाबरपुर से भी आम आदमी पार्टी के गोपाल राय चुनाव जीत गए हैं। ओखला सीट से भी आम आदमी पार्टी के चुनाव जीतने की संभावना है। यहां उसके उम्मीदवार अमानतुल्लाह खान लगभग 40 हजार वोटों से आगे हैं। इस प्रकार एक मुस्तफाबाद सीट को छोड़कर सभी मुस्लिम बहुल सीटों पर आप जीत गई है या जीतने की स्थिति में है।
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आम आदमी पार्टी ने 2020 चुनाव में इन सभी सातों सीटों पर जीत हासिल की थी। इस बार सात में से छह सीट जीत रही है। इस प्रकार मुसलमानों ने आप को ही वरीयता दी। हालांकि दो सीटों पर एआईएमआईएम के प्रत्याशी ने अच्छा प्रदर्शन किया, लेकिन वे जीत नहीं पाए।