नरभसाई भाजपा ने बिहार में कर दीं तीन गलतियां
बिहार में भाजपा कितना ‘नरभसा’ गई है वह इसी से पता चलता है कि उसने आज एक साथ तीन गलती की। नतीजा फायदा के बदले केवल नुकसान।
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बिहार विधानसभा में विपक्ष के तौर पर आज भाजपा का पहला दिन था। उम्मीद थी कि भाजपा सदन के पटल पर सरकार को जनता के मुद्दे पर घेरेगी। इसके विपरीत उसने एक साथ तीन गलतियां कर दीं। लोग सुबह सो कर उठे ही थे कि खबर आई कि राजद के पांच नेताओं के यहां सीबीआई और ईडी का छापा पड़ा है। इनमें दो राज्यसभा के सदस्य हैं-डॉ. फैयाज अहमद और अशफाक करीम। इनके अलावा पूर्व विधायक अबू दोजाना, सुनील सिंह, सुबोध राय के यहां छापे पड़े हैं।
सत्तापक्ष ने भाजपा नेता और विधानसभा के अध्यक्ष विजय सिन्हा के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था। भाजपा जानती थी कि सदन में विपक्ष में वह अकेली है। सत्ता पक्ष के साथ सात दल हैं। इसके बावजूद विजय सिन्हा ने पद से इस्तीफा नहीं दिया। लोग उम्मीद कर रहे थे कि भाजपा कोई बड़ा खेल कर सकती है। वह अड़ जाएगी। कोई पेंच भिड़ा देगी। लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। आज से पहले भाजपा जितना हवा बना रही थी, वह सदन शुरू होते ही फुस्स हो गया। भाजपा की यह पहली गलती है। इससे तो अच्छा था कि विजय सिन्हा को पहले ही इस्तीफा देने के लिए भाजपा कह देती। कम से कम वह कह सकती थी कि उसमें संख्या बल नहीं है, पर नैतिकता है।
भाजपा की दूसरी बड़ी गलती है कि उसके बड़े नेता राजद नेताओं के यहां सीबीआई छापेमारी पर सुबह से खुशी जताने में व्यस्त हैं। उन्हें लग रहा है कि सीबीआई छापे से सरकार हिल गई है और राजद-जदयू के विधायक टूट जाएंगे। बिहार में ऐसा कुछ होने नहीं जा रहा है। सीबीआई छापे से भाजपा को राजनीतिक लाभ नहीं, बल्कि नुकसान होने जा रहा है। आम लोग भी सीबीआई छापे को बदले की कार्रवाई मान रहे हैं। केंद्र की एजेंसी का दुरुपयोग मान रहे हैं।
भाजपा ने आज तीसरी बड़ी गलती भी की है। उसने छापेमारी करके सत्ता पक्ष को पहले से ज्यादा एकजुट कर दिया है। अगर हर दो-तीन महीने में इसी तरह छापेमारी होती रही और भाजपा के लोग खुशी जताते रहे, तो महागठबंधन में कभी कोई दरार नहीं होगी।
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