नस्लें याद रखेंगी यह अत्याचार, रोजे के दौरान उजाड़ा, कैसे मनेगी ईद
जहांगीरपुरी में जब गरीबों के घर और मस्जिद तोड़ने बुलडोजर पहुंचे, तो महिला-पुरुष रोजे में थे। रमजान में उनकी आजीविका पर हमला क्रूर शासन की याद दिलाएगा।
आज दिल्ली में जो कुछ हुआ, वह इतिहास में क्रूर शासन के अत्याचार के बतौर हमेशा के लिए दर्ज हो गया। जहांगीरपुरी में जब गरीबों के घर-दुकान और मस्जिद तोड़ने बुलडोजर पहुंचे, तब स्थानीय महिला-पुरुष रोजे में थे। उपवास थे। ऐसे समय लोगों को बेघर कर दिया गया, उनकी रोजी-रोटी को कुचल दिया गया। ये लोग कैसे मनाएंगे ईद, कैसे किसी को कह पाएंगे ईद मुबारक और कोई दूसरा व्यक्ति भी इन्हें कैसे कह पाएगा ईद मुबारक!
रमजान में, रोजे के दौरान किसी को रुलाने वाले शासन को क्रूर शासन ही कहा जा सकता है। महिलाएं और छोटे बच्चे अपनी कुचल दी गई दुकान और ठेले के आगे बेबस उदास खड़े हैं। किसी में खड़े होने की हिम्मत भी नहीं बची, तो सिर पर हाथ रख कर बैठ गई है।
संभव है दूसरों का दुख देखकर कुछ लोग खुश होंगे। लेकिन ऐसे लोग नहीं जानते कि सत्ता जब सर्वोच्च न्यायालय को भी ठेंगा दिखाने लगे, तो कोई नहीं बचेगा। हालांकि ऐसे लोग बचे भी नहीं है।
विवेक शुक्ला ने लिखा-तुम ज़ालिम हो। तुम उनके आशियाने को रमज़ान के पाक माह में उजाड़ रहे। जो दिनभर अपने हलक से पानी की एक बूंद नहीं उतारते, तुमने उन्हें खून का घूंट पीने पर मजबूर किया है। तुम कहते हो तुम न्याय कर रहे, मैं कहता हूँ तुम इस सदी का सबसे बड़ा अत्याचार कर रहे। लानत है तुम पर, एक हज़ार बार।
सोशल मीडिया पर अनेत तस्वीरें शेयर की जा रही हैं, जिसमें उजाड़ दिए गए लोगों की सूनी आंखें दिख रही हैं। हर वर्ग के लोग रमजान के महीने में इस तरह गरीबों पर हमला करने का विरोध कर रहे हैं।
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