मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को अपने गृह जिले नालंदा में अपने प्रत्याशी कौशलेंद्र कुमार के समर्थन में चुनावी सभा की। सभा में साफ देखा जा सकता है कि 500 लोग भी मुश्किल से जुटे हैं, जबकि मंच पर नीतीश कुमार, जदयू के पूर्व अध्यक्ष ललन सिंह, जिले के मंत्री श्रवण कुमार और सांसद सहित अनेक नेता मौजूद थे। ऊपर दी गई तस्वीर खुद ललन सिंह ने सोशल मीडिया में डाली है।
मुख्यमंत्री की सभा में जितनी भीड़ है, उतनी भीड़ तो बिहार के किसी भी बाजार-कस्बे में कभी भी मौजूद रहती है। हेलिकाप्टर से पहुंचे मुख्यमंत्री को सुनने-देखने इतने कम लोग जमा हुए, दरअसल यह उनकी घटती लोकप्रियता का प्रमाण है। यही नहीं, उनके पास अब बिहार को आगे ले जाने के लिए कोई नई योजना नहीं है और न ही बिहार को आगे बढ़ाने के लिए कोई जज्बा बचा है। वे हर सभा में 15 साल पहले की बात करते हैं। बताते हैं कि लालू राज में बिहार में कुछ नहीं था। उन्होंने बीजली दी, सड़कें बनाई, अपराध को नियंत्रित किया। ये बाते वे पिछले कई चुनावों से कह रहे हैं। लगता है लोग सुनते-सुनते थ गए हैं। मुख्यमंत्री खुद भी थके हुए नजर आ रहे हैं। इसी के साथ वे हर दूसरी सभा में ऐसा कुछ बोल देते हैं, जिससे हंसी हो जाती है। कल ही उन्होंने कह दिया कि एक बार से नरेंद्र मोदी को मुख्यमंत्री बनाना है। इसके बाद लोग सोशल मीडिया में नीतीश को बधाई देने लगे कि उनकी इच्छा जरूर पूरी होगी।
नीतीश कुमार की सभा में भीड़ इतनी कम जुटने का एक कारण भाजपा-आरएसएस का हाथ खींच लेना भी है। लोजपा के स्थानीय कार्यकर्ता भी पीछे हट गए हैं।
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नालंदा में माना जा रहा था कि यहां जदयू को कोई चुनौती नहीं है। यह सीट पिछले 20 -25 वर्षों से जदयू के पास है। लेकिन मुख्यमंत्री की लोकप्रियता घटना और दो बार लगातार सांसद रह चुके कौशलेंद्र कुमार के प्रति नाराजगी के कारण यह सीट भी पार्टी के लिए चुनौतीपूर्ण बन गई है। यहां माले के पालीगंज से विधायक और जेएनयू के छात्र नेता रह चुके संदीप सौरभ इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी हैं।