मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने संसद भवन में एनडीए संसदीय दल की बैठक में हंसते-हंसाते धीरे से बिहार की मांग भी रख दी। उन्होंने कहा कि हम सब आपके साथ हैं। आपके नेतृत्व में सब अच्छा होगा। और बिहार का भी होगा। बिहार का जो बाकी काम है, वह भी हो जाएगा। सब अच्छा होगा। उन्होंने बार-बार पूरा समर्थन जताया, लेकिन यह भी कह दिया कि बिहार का काम भी जो बचा है, वह भी हो जाएगा।
नीतीश कुमार के आज के वक्तव्य से स्पष्ट है कि वे प्रधानमंत्री मोदी से हार्ड बारगेनिंग कर रहे हैं। बिहार का काम बचा हुआ है कह कर उन्होंने इशारों में विशेष राज्य के दर्जे की मांग कर दी। यह मांग नीतीश कुमार की पहचान से जुड़ा है। उधर जदयू के दूसरे नेता नीतीश कुमार की बात को खुल कर कह रहे हैं। केसी त्यागी ने दो दिन पहले ही कहा कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिलना चाहिए। अग्निवीर योजना की समीक्षा होनी चाहिए तथा देश भर में जाति गणना कराई जाए।
याद रहे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पटना विवि को केंद्रीय विवि का दर्जा देने की मांग भी कर चुके हैं। इस पर उन्होंने जोर भी दिया था, तब मोदी ने मांग अनसुनी कर दी थी। लेकिन अब स्थितियां बदल गई हैं। नीतीश कुमार आरक्षण की सीमा को 75 प्रतिशत करने का प्रस्ताव बिहार विधानसभा से पारित कर चुके हैं। इसे नौवीं अनुसूची में डालने का काम शेष है। नीतीश चाहेंगे कि आरक्षण की सीमा भी बढ़े। इसके साथ ही वे दरभंगा एम्स, पूर्णिया में एयरपोर्ट तथा कुछेक चीनी मीलों को फिर से चालू करने का दबाव बना सकते हैं। ये सब काम नीतीश चाहते रहे हैं, जिसे वे एनडीए की बैठक में बचा हुआ काम कह रहे थे।
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उधर आंध्र प्रदेश की भी अपनी मांग है। वहां तो मुस्लिम आरक्षण का वादा कर के नायडू चुनाव जीते हैं। उन्हें भी विशेष दर्जा चाहिए। आंध्र की आर्थिक स्थिति बेहद खराब है। सरकार के खजाने में अपने कर्मियों को वेतन देने के पैसे का भाव है। वे भी पूरी दबाव बनाए हुए हैं। अब देखना है कि प्रधानमंत्री मोदी नीतीश कुमार तथा चंद्र बाबू नायडू की मांगों को किस प्रकार और कब पूरा करते हैं।