जब टिकट मिलने के बाद सारे नेता अपने-अपने चुनाव क्षेत्र में पहुंच रहे हैं, तब राष्ट्रीय लोक मोर्चा (आरएलएम) के Upendra Kushawaha (उपेंद्र कुशवाहा) मुख्यमंत्री Nitish kumar से मिलने मुख्यमंत्री आवास पहुंचे। दोनों में देर तक बात हुई। इस मुलाकात के बाद राजनीतिक गलियारे में अचानक चर्चा तेज हो गई है कि Upendra Kushawaha अपनी पार्टी का जदयू में विलय करेंगे।
Upendra Kushawaha के जदयू में विलय करने के पीछे कहा जा रहा है कि जो सोच कर कुशवाहा नीतीश कुमार से अलग हुए थे, वह नहीं हो सका। कुशवाहा को उम्मीद थी कि वे अपनी अगल पार्टी बनाकर भाजपा से बेहतर मोलतोल कर पाएंगे। बाद में सम्राट चौधरी को बिहार भाजपा का अध्यक्ष बनाया गया। अब तो वे डिप्टी सीएम भी हैं। इस स्थिति में भाजपा को उपेंद्र कुशवाहा की बहुत जरूरत नहीं रह गई। भाजपा के साथ जाने से पहले कुशवाहा की भाजपा के बड़े नेताओं के साथ कई बार मुलाकातें हुई थीं। अब भाजपा में वह पूछ नहीं रही। भाजपा ने उन्हें सिर्फ एक सीट दी। कुशवाहा की अब आगे की राजनीति भी फंस गई है। उन्हें पता है कि जब लोकसभा चुनाव में एक सीट दी गई है, तो एक साल बाद विधानसभा चुनाव में भाजपा उनकी क्या हालत कर देगी। इस राजनीतिक मूल्यांकन के आधार पर कुशवाहा के लिए जरूरी है कि वे अपनी राजनीकिर बिसात फिर से बिछाएं, वर्ना भाजपा के साथ रहते हुए उनकी राजनीति के खत्म होने में देर नहीं है।
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उधर जदयू नेताओं ने मुख्यमंत्री Nitish kumar और Upendra Kushawaha की मुलाकात का स्वागत किया है। कई नेताओं ने कहा कि जदयू के सामाजिक आधार और कार्यकर्ताओं में कुशवाहा की आज भी व्यापक स्वीकृति है। अगर वे जदयू में आते हैं, तो दोनों का भला होगा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी एक मजबूत कुशवाहा नेता मिल जाएंगे, तथा कुशवाहा को भी बनी-बनाई पार्टी मिल जाएगी। इसमें दोनों का फायदा है। सूत्रों का कहना है कुशवाहा जल्द कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं।