मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के रणनीतिकारों ने फैसला किया है कि वे चुनावी सभाएं कम करेंगे। इस कमी को पूरा करने के लिए लाखों की संख्या में एक पर्चा छपवाया गया है। बिहारवासियों के नाम अपील जारी किया गया है। मुख्यमंत्री की इस अपील में वे ही बातें हैं, जो वे विधानसभा चुनावों में भाषण देते रहे हैं। लोकसभा चुनाव की दृष्टि से इसमें कुछ भी नहीं है। विपक्ष जिन सवालों पर एनडीए को घेर रहा है, उन सवालों पर भी चुप्पी है। जैसे भाजपा संविधान खत्म करने के लिए चार सौ पार का नारा दे रही है, अग्निवीर योजना, राष्ट्रीय स्तर बेरोजगारी और महंगाई इन सवालों पर मुख्यमंत्री के पत्र में कुछ भी नहीं कहा गया है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस चुनाव में बहुत कम निकल रहे हैं। वे कुछ सभाओं में शामिल हुए, लेकिन उसमें भी उनके बयानों से विवाद हो गया। कभी उन्होंने चार हजार सांसद जिताने की अपील कर दी, तो कभी ज्यादा बच्चे वाले बयान पर फंस गए। ऐसे में जदयू रणनीतिकारों ने बिहारवासियों के नाम पत्र जारी करके संवाद का तरीका निकाला है।
जदयू में वक्ताओं का टोंटा हो गया है। नीतीश कुमार के बाद दूसरे नंबर के ललन सिंह खुद मुंगेर में चुनाव लड़ रहे हैं और वे वहां बुरी तरह फंसे हुए हैं। वहां उन्हें राजद के अशोक महतो की पत्नी अनीता देवी कड़ा मुकाबला दे रही हैं। ऐसे में ललन सिंह का क्षेत्र से बाहर निकल कर दूसरे प्रत्याशी के लिए प्रचार करना मुश्किल हैं। ले-देकर प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा विभिन्न क्षेत्रों में जा रहे हैं, लेकिन उनकी सभाओं में भीड़ नहीं आ रही है। इससे जदयू खेमे में परेशानी है।
बिहार से कांग्रेस के प्रत्याशी तय, पटना साहिब से अंशुल अविजित
बिहारवासियों के नाम अपील में 15 साल पहले के लालू राज की आलोचना की गई है और राज्य में स्कूलों, सड़कों के विकास तथा महिला आरक्षण का जिक्र किया गया है। नौकरी देने का वादा किया गया है। समाज में भाइचारा और अमन-चैन कायम करने का भी जिक्र किया गया है। लोकसभा चुनाव की दृष्टि से कोई राष्ट्रीय एजेंडा पेश करने में मुख्यमंत्री की पत्र विफल है।