पतंजलि के फर्जी दावे वाले विज्ञापन में बुरी तरह फंसे रामदेव को राहत नहीं मिली है। वे मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए, लेकिन उनका माफीनाम कोर्ट ने स्वीकार नहीं किया। रामदेव ने अखबारों में छोटा सा माफीनाम छपवाया था और कोर्ट को बता दिया कि हमने सार्वजनिक तौर पर माफी मांग ली है। रामदेव के वकील ने कहा कि पतंजलि की तरफ से देश के 67 अखबारों में माफीनामा प्रकाशित कराया गया है। विज्ञापन में लिखा है कि हमसे गलती हो गई, अब दुबारा गलती नहीं करेंगे। इसके बाद भी कोर्ट पिघला नहीं, बल्कि रामदेव की चालाकी को पकड़ लिया। पूछा कि क्या अखबारों में माफीनामा का साइज भी वही था, जो झूठे दावे वाले प्रचार का था। जाहिर है रामदेव की बोलती बंद हो गई, क्योंकि विज्ञापन भर-भर पेज का दिया गया था और माफीनामा छोटा सा कोने में छपा है, जिसे शायद ही किसी ने ध्यान दिया हो।

इसी के साथ कोर्ट ने अगली सुनवाई की तारीख तय कर दी। अलगी सुनवाई 30 अप्रैल को होगी। उस दिन में रामदेव को सशरीर कोर्ट में खड़ा होना होगा। इसी के साथ स्पष्ट है कि अब दोबारा से बाबा रामदेव को माफीनामा बड़ी जगह लेकर अखबारों में छपवाना पड़ सकता है। जो काम एक बार माफी मांग कर हो सकती थी, वही काम अब रामदेव को दुबारा करना होगा।

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पतंजलि आयुर्वेद द्वारा अपनी दवाओं के लिए ‘भ्रामक दावों’ को लेकर अदालत की अवमानना को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान रामदेव को कड़ी फटकार लगाई। जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच मामले पर सुनवाई की, जिस पर अदालत ने सुप्रीम कोर्ट ने ताजा विज्ञापन देने की इजाजत दे दी और कहा कि पतंजलि माफीनामे का बड़े साइज का नया विज्ञापन भी जारी करे। इसी के साथ कोर्ट ने केंद्र से भी जवाब मांगा है कि वह बताए 3 साल में भ्रामक विज्ञापनों पर क्या कार्रवाई की? हलफनामा दाखिल करे। सोशल मीडिया में लोग कह रहे हैं कि अब रामदेव फर्जी दावा करने से पहले सौ बार सोचेंगे।

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