नीतीश ने जाति गणना का भरा फॉर्म, 4 महीने में बदलेगी राजनीति
बिहार में जातीय गणना के दूसरे चरण की शुरुआत खुद नीतीश कुमार ने की। अपनी जाति और अन्य जानकारियां खुद भरीं। चार महीने बाद भाजपा की बढ़ेगी परेशानी।
कुमार अनिल
बिहार में जातीय गणना के दूसरे चरण की शुरुआत खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने की। वे इसके लिए शनिवार को बख्तियारपुर पहुंचे। वहां गणना कर्मियों के सामने अपनी जाति सहित सारी जानकारियां भरीं। जाति गणना कार्य 15 मई तक पूरा हो जाएगा। इसके बाद जाति गणना का विश्लेषण किया जाएगा और रिपोर्ट सार्वजनिक की जाएगी। इस कार्य के लिए विशेष सेक्सन बनाया गया है, जहां आंकड़ों का विश्लेषण किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार में जाति गणना की रिपोर्ट केंद्र की मोदी सरकार को दी जाएगी। उन्होंने कहा कि बिहार ने पहल की है, जल्द ही दूसरे राज्य अनुसरण करेंगे। रिपोर्ट के बाद पता चलेगा कि बिहार में किस जाति की कितनी संख्या है, उनकी आर्थिक स्थिति, शिक्षा, आमदनी कितनी है। माना जा रहा है कि पिछड़ों और अतिपिछड़ों के लिए कई नई योजनाओं की शुरुआत हो सकती है। आरक्षण की सीमा भी बढ़ सकती है। अभी से कयास लगाए जा रहे हैं कि अतिपिछड़ों का आरक्षण कोटा बढ़ेगा। अगर नीतीश सरकार ने आरक्षण सीमा बढ़ा दी और फिर इसे यूपी सहित अन्य राज्यों में मुद्दा बनाया, तो 2024 लोकसभा चुनाव पर असर पड़ना तय है।
माननीय मुख्यमंत्री श्री @NitishKumar जी ने की ऐतिहासिक जातीय जनगणना की शुरुआत।
— Janata Dal (United) (@Jduonline) April 15, 2023
आने वाले समय में बिहार के इस मॉडल को भी पूरा देश अपनाएगा।#CasteCensus #Bihar#NitishKumar #JDU #JanataDalUnited pic.twitter.com/bjmRxWHcnt
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विपक्षी दलों की एकजुटता के लिए काम कर रहे हैं। वे कई दलों से मिल चुके हैं। दुबारा मिलेंगे। इसके बाद अन्य राज्योंं का दौरा करेंगे। जाहिर है वे बिहार में जाति गणना की रिपोर्ट को भी मुद्दा बनाएंगे। अन्य राज्यों में भी जाति गणना की मांग उठाएंगे। ऐसा होने पर राजनीति में नए सवाल सामने आएंगे, जो भाजपा के लिए परेशानी वाले होंगे। जदयू ने कहा कि आने वाले समय में बिहार मॉडल को अन्य राज्य भी अपनाने को बाध्य होंगे।
भले ही भाजपा बिहार में जाति गणना पर तैयार हो गई है, लेकिन वह इस मुद्दे पर तैयार होनेवाली अंतिम पार्टी है। भाजपा का सामाजिक आधार जाति गणना के पक्ष में नहीं रहा है, यह जगजाहिर है। इस तरह 2024 जनवरी में भाजपा अगर राम मंदिर को मुद्दा बनाएगी, तो नीतीश कुमार के नेतृत्व में कई दल जाति गणना का सवाल उठाएंगे। इस प्रकार मंदिर बनाम सामाजिक न्याय में संघर्ष देखने को मिल सकता है।
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