मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी अंतिम राजनीतिक पारी में वक्फ बिल पर बुरी तरह फंस गए हैं। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, अमारत-ए-शरिया सहित सात संगठनों ने तीन दिन पहले मुख्यमंत्री से वक्फ संशोधन बिल पर अपना स्टैंड क्लीयर करने को कहा था। पटना में 26 मार्च को प्रदर्शन से पहले अपना मत स्पष्ट करना था, लेकिन आज मुख्यमंत्री की तरफ से कोई बयान नहीं है। पार्टी के वरिष्ठ नेता ललन सिंह, कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा की तरफ से भी कोई स्पष्टीकरण नहीं आया। अब खबर है कि वक्फ संशोधन बिल के सवाल पर नीतीश कुमार की पार्टी जदयू दो फाड़ हो गई है। एक हिस्सा चाहता है कि वक्फ संशोधन बिल न्यायोचित नहीं है, इसलिए इसका विरोध किया जाना चाहिए, जबकि दूसरा हिस्सा इस पर चुप्पी बनाए रखने के पक्ष में है। इस हिस्से को लगता है कि वक्फ बिल का विरोध करने से भाजपा के साथ रिश्ते खराब होंगे।

इधर पटना में आज वक्फ संशोधन बिल के खिलाफ जबरदस्त धरना-प्रदर्शन हुआ। जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अरशद मदनी ने बुधवार को हुए प्रदर्शन के बाद कहा कि हम वक्फ संशोधन बिल को पूरी तरह खारिज करते हैं। हम किसी भी ऐसे कानून को नहीं मान सकते, जिससे वक्फ की स्थिति और वक्फ करने वालों की मंशा बदली जाए। उन्होंने कहा कि अब साफ है कि देश फासीवाद की गिरफ्त में है। ऐसे में संविधान और लोकतंत्र में विश्वास रखने वाले हर नागरिक की जिम्मेदारी है कि वे संविधान की रक्षा के लिए आगे आएं।

उन्होंने यह भी कहा कि धर्म के नाम पर भेदभाव करना, बांटना देश को कमजोर करने के समान है। यह समाज की शांति और एकता-भाईचारा के खिलाफ है।

इधर राजद ने नीतीश कुमार पर हमला तेज कर दिया है। पार्टी ने कहा कि नीतीश कुमार अब पूरी तरह भाजपा के नियंत्रण में है। इस बीच खबर है कि गृहमंत्री अमित शाह और बिहार भाजपा के अध्यक्ष दिलीप जायसवाल के बीच बिहार की ताजा स्थिति पर चर्चा हुई है।

वक्फ संशोधन बिल के खिलाफ धरना स्थल पहुंचे तेजस्वी, किया पुरजोर समर्थन

By Editor


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