नो रेवड़ी : रेलवे में अब एक साल के बच्चे का भी लगेगा फुल टिकट
जेएनयू में सस्ती पढ़ाई का विरोध करनेवाले आज खुश हैं। अब रेलवे में एक साल के बच्चे का भी फुल टिकट खरीदेंगे मां-बाप। रेवड़ी मुक्त देश की दिशा में मजबूत कदम।
भगवान महावीर ने कहा है आदमी जैसा सोचता है, धीरे-धीरे वह वैसा ही बन जाता है। सोच, भाव का बड़ा महत्व होता है। देश ने कितने जोर से जएनयू में सस्ती पढ़ाई का विरोध किया था, सबको याद है। संभव है, आपमें भी कुछ लोग हों, जो सस्ती पढ़ाई का विरोध कर रहे थे। परिणाम हुआ कि आज हर बड़े इंजीनियरिंग-मेडिकल कॉलेज की फीस बढ़ गई है। इसी तरह देश आज रेवड़ी कल्चर को खत्म करने पर सहमत है। लोग मिल जाते हैं, जो कहते हैं कि गरीब को सस्ता अनाज, मुफ्त अनाज बंद होना चाहिए। उनकी यह इच्छा भी पूरी होगी, लेकिन फिलहाल रेलवे ने एक रेवड़ी खत्म खत्म कर दी है। अब रेलवे में एक साल के बच्चे का बी फुल टिकट लेना होगा।
हालांकि कुछ लोग रेलवे के इस निर्णय के खिलाफ हो गए हैं। पूर्व आईएएस विजय शंकर सिंह ने कहा-अब ट्रेन में यात्रा के लिए एक साल के बच्चे का भी फुल टिकट लगेगा। अभी तक पांच से 11 साल के बच्चों को आधा किराया लगता था । रेलवे ने बिना सूचना के नियम में बदलाव कर दिया।
व्यंग्यकार भगत राम ने तीखा व्यंग्य किया-जब तक पेट में पल रहे बच्चे पर भी फुल टिकट ना लगा दे, तब तक हौसला टूटने मत देना इस महामानव का। कई लोग भगत राम से नाराज हो गए। रवि ह्यूमन ने लिखा- जब एक साल के बच्चे का पूरा 5 किलो राशन लेकर ब्लैक में बेचते हैं लेकिन जब सरकार ने एक साल के बच्चे का टिकट मांग लिया तो रोना शुरू। भगत राम के ट्विटर हैंडल पर महंगाई समर्थक व्यंग्यकार को खूब कोस रहे हैं।
कोरोना के समय स्पेशल के नाम पर जो किराया बढ़ाया, वह अब तक चल रहा है। पहले न्यूनतम किराया 10 रुपए था। अब 30 रुपए है।
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