भारत की न्याय संहिता के नाम से पहले से चल रही पूरी कानूनी प्रक्रिया को बदलना वह भी 146 सांसदों को लोकसभा से बाहर कर बिना बहस के पारित करना अलोकतांत्रिक है। इसे हर हाल में रोका जाना चाहिए और पूरी प्रक्रिया का पालन कर दुबारा संसद से पारित किया जाना चाहिए। अंग्रेजों के जमाने से भी ज्यादा दमनकारी कानूनों को लागू किया जाना बिल्कुल ही बर्दास्त नहीं किया जाएगा।
आज भाकपा माले जिला कार्यालय कमरूद्दीनगंज में जमा होकर माले कार्यकर्ताओं ने एक विरोध मार्च निकाला जो LIC होकर राँची रोड होते हुए हॉस्पीटल मोड़ पहुँच कर विरोध सभा में बदल गया। सभा को संबोधित करते हुए भाकपा माले के राज्य स्थायी समीति के सदस्य रणविजय कुमार ने उपरोक्त बातों को कहा।
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विरोध मार्च में शामिल होने वालों में भाकपा माले के राज्य कमेटी सदस्य रणविजय, माले के वरिष्ठ नेता देवेन्द्र प्रसाद, चुन्नु चन्द्रवशी, बिहारशरीफ प्रभारी पाल बिहारी लाल, बिहारशरीफ देहात के प्रभारी सुनील कुमार, इंसाफ मंच के जिला संयोजक सरफराज अहमद खान अधिवक्ता, मोबस्सिर, अखिल भारतीय किसान महासभा के जिलाध्यक्ष मुनीलाल यादव, माले नेता नसीरुद्दीन, रामप्रीत केवट, शिवशंकर प्रसाद, सुभाष शर्मा, किशोर साव, नौशाद आलम, विमल साव, बृजनन्दन प्रसाद, विनोद राम, दुर्गा मांझी, नेहाल अहमद, मो. खुर्शीद आलम, सीपीएम नेता कमलेश कुमार कमल, आदि शामिल थे।