इर्शादुल हक, संपादक, नौकरशाही डॉट कॉम

#Pahalgam चीख चीख कर सवाल कर रहा है. नफरती मीडिया और साम्प्रदायिक ऐंगल खोजने वाले इन सवालों को दफ्न कर हिंदू-मुस्लिम नैरेटिव बनाने में जुटे हैं.

आज कश्मीर के लोग जिस एकजुटता का परिचय दे रहे हैं. जिस तरह से कश्मीरियों ने अपनी जान जोखिम में डाल कर, अपने कारोबार भूल कर टूरिस्टों की जान बचाई यह मुद्दा दबाने वालों और देश के पीएम व एचम से पांच सवाल पूछा जाना चाहिए. मैं दावे से कह सकता हूं कि मोदी-शाह सात जन्मों में इन सवालों के जवाब नहीं दे पायेंगे.

इन सवालों पर जाने से पहले एक तथ्य बताना जरूरी है. फरवरी में अमित शाह ने कश्मीर में सुरक्षा संबंधी मीटिंग से पहले विकास प्रोजेक्टों पर बैठक की थी. बैठक खत्म होते ही उन्होंने मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्लाह की तरफ मुडते हुए कहा- धन्वाद अब्दुल्लाह साहब आप आये. बैठक की समाप्ति के बाद धन्यवाद कहने का संदेश समझते हुए अब्दुल्लाह हाल से बाहर चले गये. फिर शाह ने सुरक्षा संबंधी मीटिंग ली. मतलब अब्दुल्लाह को हटा दिया.

अनुच्छेद 370 लागू होने के बाद चूंकि सुरक्षा से ले कर, कानून व्यवस्था तक की जिम्मेदारी केंद्र की है. ऐसे में सवाल यह हैं-

  1. सरहद की सक्षा कैसी थी कि आतंकी हमारी सीमा में घुस गये. इसके लिए केंद्र व अमितशाह जिम्मेदार हैं कि नहीं.
  2. पूरा इंटेलिजेंस- आईबी, सीबीआई या यहां तक कि रॉ सब केंद्र के अधीन है. इंटेलिजेंस फेलियर की यह भयंकर मिसाल है. इसकी जिम्मेदारी पर मोदी-शाह एक शब्द बोल पायेंगे क्या.
  3. दहशतगर्द आसमान से नहीं टपके. वो सरहद से आये. गांव में घुसे. आपके अफसरान, आपकी सुरक्षा एजेंसियां, इतनी नाकारा है कि वह जान तक नहीं सके. या ऐसा तो नहीं कि इन एजेंसियों के लोग आतंकवादियों से मिले हुए थे. क्या इस सवाल का जवाब मोदी शाह देंगे ?
  4. जहां घटना घटी, वहां हजारों की संख्या में टूरिस्ट जाते हैं. वहां से ग्यारह किलोमीटर दूर तक सीआरपीएफ युनिट है. घटना स्थल पर सुरक्षा का कोई इंतजाम क्यों नहीं ?
  5. हमले से पहले पाकिस्तानी आतंकियों ने हमले के संकेत दिये थे. इस पर कोई तवज्जो क्यों नहीं दी गयी. कब तक मोदी-शाह नागरिकों की जान और सरहदों की सुरक्षा से खिलवाड होते देखते रहेंगे. और हर हमले का सियासी लाभ लेते रहेंगे. शर्मनाक है.

हक की बात में इन धधकते सवालों पर देखिए विडियो-

By Editor