इर्शादुल हक, संपादक, नौकरशाही डॉट कॉम

बिहार में #RJD-कांग्रेस के गठबंधन की शुरुआत कोई 25 वर्ष पूर्व हुई थी. इन पच्चीस वर्षों में लालू प्रसाद बिहार कांग्रेस, के बजाये सीधे सोनिया गांधी के सम्पर्क में रहते थे. हर फैसले वहीं से सम्पर्क कर के लिये जाते रहे.

लेकिन तेजस्वी यादव ने इस परम्पराा से हट कर कांग्रेस के बिहार मुख्यालय सदाकत आश्रम में जा कर औपचारिक मीटिंग करके एक अलग संदेश दिया. गौर करें कि तेजस्वी, सदाकत आश्रम उस घटना के तीन बाद पहुंच गये, जब बक्सर में 20 अप्रैल की मल्लिकार्जुन खड़गे की रैली को कांग्रेस के अंदर बैठे भाजपा स्लीपर सेल ने पूरी तरह नाकाम कर दिया. खड़गे के सामने आम जनता के बजाये खाली कुर्सियां थीं.

दर असल दलित समाज से आने वाले राष्ट्रीय और प्रदेश अध्यक्ष  ( खड़गे व राजेश राम) को नीचा दिखाने का यह खेल था.

मनोज पांडेय, जो बक्सर के जिलाध्यक्ष थे, उन्हें कांग्रेस ने तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया. और यह संदेश साफ साफ जनता में गया कि बिहार कांग्रेस में भाजपा स्लीपर सेल के लोग, कांग्रेस के लिए नासूर बन चुके हैं.

ऐसी स्थिति में तेजस्वी यादव ने यह महसूस किया कि कांग्रेस, जो उनके गठबंधन की सहयोगी है, वह कमजोर होगी तो पूरा गठबंधन कमजोर होगा. ऐसे में तेजस्वी यादव राजद की 25 साल पुरानी परम्परा से इतर कांग्रेस के साथ एकजुटता जताने सदाकत आश्रम में बजाब्ते औपचारिक मीटिंग की अध्यक्षथा करने पहुंच गये.

हक की बात, इर्शादुल हक के साथ , इस विषय पर देखिए विडियो अनालिसिस.

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