फिर निषादपुत्र का काटा अंगूठा : मुकेश सहनी मंत्री पद से बरखास्त
यूपी चुनाव प्रचार में बार-बार मैं एकलव्य नहीं बनूंगा कहनेवाले निषाद-पुत्र (सन ऑफ मल्लाह) मुकेश सहनी को मंत्री पद से हटा दिया गया। क्या कह रहे निषाद?
सामाजिक न्याय फिर घायल हुआ। द्वापर में हिरण्य धनु नामक निषाद राजा के पुत्र एकलव्य से उसी के गुरु ने अंगूठा मांग लिया था, जिसकी वह प्रतिमा लगा कर पूजा करता था। एक बार फिर एकलव्य घायल हुआ। फिर उसी ने अंगूठा मांगा जिसपर मुकेश सहनी ने भरोसा किया अर्थात भाजपा ने। हालांकि तब और आज में फर्क भी है। आज वाले एकलव्य ने ज्यादा सीट जीतने की चाह (लालच) में भाजपा के हिंदुत्व वाली विचारधारा की अनदेखी की। उसके साथ गए। यूपी चुनाव के बाद उन्होंने भाजपा छोड़ नीतीश कुमार पर भरोसा किया। लेकिन जो नीतीश कुमार खुद ही यूपी जाकर पूरी तरह झुक रहे हैं, वे भला सहनी के लिए क्या करते? सो भाजपा की शिकायत पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मुकेश सहनी को मंत्रिमंडल से हटाने की सिफारिश कर दी।
विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के संस्थापक मुकेश सहनी यूपी चुनाव में बार-बार कहते सुने गए कि वे एकलव्य नहीं बनेंगे। धनुर्धर बना हूं, तो लक्ष्य भी साधूंगा।किसी गुरु को अंगूठा देने की कोई जरूरत नहीं। लेकिन बिहार में किसी ने अंगूठा मांगा नहीं, बल्कि काट लिया।
सोशल मीडिया में निषाद समुदाय की भारी प्रतिक्रिया देखी जा रही है। लोग भाजपा की जमकर आलोचना कर रहे हैं, साथ ही मुकेश सहनी की जल्दी नेता बनने, शॉर्ट-कट रास्ता अपनाने के चक्कर में भाजपा जैसी हिंदुत्व विचारधारा वाली पार्टी के साथ समझौते पर भी लोग सहनी की आलोचना कर रहे हैं। सभी सहनी से दीर्घ लड़ाई में उतरने की सलाह दे रहे हैं।
अब देखना है कि मुकेश सहनी भाजपा और नीतीश कुमार द्वारा उन्हें इस तरह कुर्सी से बेदखल किए जाने के बाद इस अपमान का बदला लेने के लिए किस प्रकार मैदान में उतरते हैं।
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