चुनाव रणनीतिकार से नेता बने जन सुराज के प्रशांत किशोर बिहार में होनेवाले उपचुनाव में प्रत्याशी उतारेंगे। बिहार में चार सीटों पर उपचुनाव होना है। ये सीटें हैं- बेलागंज, इमामगंज, रामगढ़ तथा तरारी। लोकसभा चुनाव में इन चारों क्षेत्र के विधायक सांसद बने, जिसके कारण यहां उपचुनाव होंगे। चुनाव आयोग ने आज हरियाणा तथा जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराने का एलान किया, लेकिन बिहार सहित अन्य राज्यों के उप चुनाव के बारे में कोई घोषणा नहीं की।
प्रशांत किशोर ने स्पष्ट कर दिया है कि वे बिहार की चारों सीटों पर होने वाले उपचुनाव में प्रत्याशी उतारेंगे। इसी के साथ बड़ा सवाल यह सामने है कि वे भाजपा को कितना नुकसान पहुंचाएंगे। अब तक मिली जानकारी के अनुसार सवर्णों का आकर्षण पीके की तरफ देखा जा रहा है। मीडिया में यह प्रचार किया गया कि यादव और मुसलमान बड़ी संख्या में जन सुराज से जुड़ रहे हैं। लेकिन राजनीतिक स्थिति खासकर वक्फ एक्ट में संशोधन बिल आने के बाद से मुसलमान भाजपा-जदयू से खासे नाराज हैं। प्रशांत किशोर ने भी वक्फ एक्ट बिल पर दो टूक शब्दों में विरोध नहीं किया है। मुसलमानों में वक्फ की रक्षा का सवाल अहम बन गया है। इस पर पीके की चुप्पी से स्पष्ट है कि मुसलमान मत उन्हें नहीं मिलेंगे, जबकि यादवों पर तेजस्वी यादव का जादुई प्रभाव कायम है। यादव समाज तेजस्वी में भावी मुख्यमंत्री देखता है। इसलिए यादव समाज का वोट भी प्रशांत किशोर के लिए हासिल करना बेहद कठिन है।
उधर बिहार के सवर्णों का भाजपा से तेजी से मोहभंग हुआ है। अब सवर्ण भी महंगाई और बेरोजगारी जैसे सवालों पर बात करने लगे हैं। हिंदू-मुस्लिम राजनीति के मकसद को समझने लगे हैं। ऐसे में सवर्ण समाज का एक हिस्सा प्रशांत किशोर के साथ हमदर्दी दिखाता नजर आ रहा है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि प्रशांत किशोर भाजपा को बड़ा नुकसान पहुंचा सकते हैं।
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याद रहे बिहार में जिन चार सीटों पर उपचुनाव होना है, उनमें दो सीटें बेलागंज तथा रामगढ़ राजद के पास, एक सीट तरारी माले के पास तथा एक सीट इमामगंज हम के पास थी।
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