प्रशांत किशोर ने महीनों तैयारी के बाद आज पटना के गांधी मैदान में रैली की, लेकिन पहले ही प्रयास में पूरी तरह फ्लॉप हो गए। दस लाख लोगों के आने का दावा था और हाल यह रहा कि कुर्सिंया तक नहीं भरीं। सबसे खास बात यह कि प्रशांत किशोर ने शाम छह बजे तक भाषण ही नहीं दिया। नौकरशाही डॉट कॉम ने एक नेता से पूछा कि रैली फेल होने की क्या वजह है, तो जवाब मिला जुमे को रैली रखनी ही नहीं चाहिए थी।

प्रशांत किशोर ने दावा किया था कि आज की गांधी मैदान में होने वाली रैली से बिहार में बदलाव की पटकथा लिख दी जाएगी। बड़े-बड़े दावे किए गए थे। दस लाख लोगो के आने का दावा भी किया गया था। उसी अनुपात में हजारों की संख्या में कुर्सियां सजाई गई थीं, लेकिन कुर्सी पर बैठने वाले ही नहीं आए।

इससे पहले बिहार विधानसभा उपचुनाव में उन्होंने दावा किया था कि चारों सीट जीतेंगे, लेकिन उनका खाता नहीं खुल सका। तब कहा गया कि पहला प्रयास था। अब उनका दूसरा कार्यक्रम भी फेल हो गया। साफ है कि वे अपने निशाने पर जिस तरह तेजस्वी यादव को लेते हैं, उसे बिहार की जनता ने स्वीकार नहीं किया। बिहार में 20 साल से जदयू-भाजपा की सरकार है, लेकिन उसके खिलाफ अभियान को केंद्रित करने के बजाय वे तेजस्वी यादव पर हमला करते रहे हैं।

नौकरशाही डॉट कॉम ने जन सुराज की रैली में शामिल एक नेता से पूछा कि कुर्सियां खाली क्यों रह गईं, तो उनका जवाब था कि जुमे के कारण लोग नहीं आए। उन्हें उम्मीद थी कि वक्फ संशोधन बिल का प्रशांत किशोर ने जिस प्रकार विरोध किया है, उसके बाद मुसलमान बड़ी संख्या में रैली में आएंगे, लेकिन मुस्लिम ही नहीं, अन्य लोग भी अपेक्षित संख्या में नहीं आए।

 

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