जन सुराज पार्टी के प्रशांत किशोर की योजना दारू बेचो, स्कूल खोलो उनके ही गले की हड्डी बन गई है। कल गांधी जयंती के दिन उन्होंने शराबबंदी खत्म करने का एलान किया, जिसकी चारों तरफ से निंदा होने लगी। इसके बाद रात 12.45 बजे जनसुराज ने सोशल मीडिया एक्स पर एक वीडियो डाल कर सफाई दी। वीडियो का शीर्षक है प्रशांत किशोर क्यों शराबबंदी खत्म करना चाहते हैं। इधर, गुरुवार को जदयू ने भी इस मुद्दे पर प्रशांत किशोर को घेरा।
जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने कहा कि गांधी जयंती पर शराबबंदी हटाने की घोषणा राष्ट्रपिता का अपमान है। कहा कि आबकारी अधिनियम के तहत गांधी जयंती के दिन देशभर में शराब की खरीद-बिक्री पर पूर्णतः प्रतिबंध रहता है और ऐसे मौके पर जनसुराज पार्टी के संयोजक प्रशांत किशोर द्वारा बिहार से शराबबंदी कानून हटाने की बात कहना राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का राजनीतिक अपमान है। उन्होंने इस तरह का वक्तव्य देकर पूज्य बापू की आत्मा के साथ-साथ जनभावनाओं को भी गहरा ठेस पहुंचाया है।
प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि शराबबंदी कानून से महिलाओं के विरुद्ध हो रहे घरेलू हिंसा में काफी कमी आई है। एक रिपोर्ट के अनुसार शराबबंदी लागू होने से यौन हिंसा के मामलों में 21 लाख (3.6 फीसदी) की गिरावट दर्ज की गई है लेकिन प्रशांत किशोर को सामाजिक सुधार के विषयों से कोई लेनादेना नहीं है। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी शराब के सेवन को एक सामाजिक बुराई मानते थे इसलिए हमारा सीधा प्रश्न है कि क्या प्रशांत किशोर शराबबंदी को खत्म कर प्रदेश में सामाजिक दुर्गंध फैलाना चाहते हैं? अगर यही उनकी मंशा है तो बिहार की जनता और खासकर महिलाएं इसे कत्तई स्वीकार नहीं करेगी।
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प्रशांत किशोर ने आधी रात के बाद जो वीडियो शेयर किया है, उसमें कहा कि शराबबंदी से हर साल 20 हजार करोड़ का नुकसान हो रहा है। वे इस पैसे से स्कूल खोलेंगे।