PM के आचार संहिता उल्लंघन पर The Telegraph की गजबे हेडिंग
हिंदी अखबारों से सच लिखने कोई उम्मीद नहीं। एकमात्र The Telegraph ने प्रधानमंत्री मोदी के आचार संहिता उल्लंघन को लीड खबर बनाई। गजबे लिखा-
जो हिंदी कभी अंग्रेजी सत्ता के खिलाफ सीना तान कर खड़ी थी, आज उसी हिंदी के अखबारों का हाल देखिए। किसी ने गुजरात चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रोड शो पर सवाल उठाने की हिम्मत नहीं की। कोलकाता से प्रकाशित द टेलिग्राफ ने फिर सबसे अलग हेडिंग लगाई।
द टेलिग्राफ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रोड शो का फोटो छापा, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी का फोटो क्रॉप कर दिया। ऊपर व्यंग्य में लिखा कि चूंकि देश का चुनाव आयोग इतना कड़क है कि वह कहीं कार्रवाई न कर दे, इसलिए अखबार फोटो के बीच में चल रहे व्यक्ति का फोटो क्रॉप कर रहा है। चुनाव आयोग को कटघरे में इस प्रकार लाने के लिए बड़ी हिम्मत चाहिए।
चुनाव के दिन किसी को रोड शो की इजाजत नहीं होती। बल्कि 36 घंटे पहले ही प्रचार बंद हो जाता है। इसके बावजूद प्रधानमंत्री के रोड शो करने तथा प्रमुख टीवी चैनलों द्वारा इस पर सवाल खड़ा करने के बजाय महिमामंडन करने के खिलाफ केवल दो राजनीतिक दलों ने विरोध जताया। कांग्रेस और बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विरोध दर्ज कराया।
द टेलिग्राफ ने मुख्य हेडिंग दिया है- प्रचारमंत्री और चुनाव आयोग। अखबार ने कांग्रेस तथा तृणमूल कांग्रेस के बयान प्रकाशित किए हैं। कांग्रेस ने कहा कि प्रधानमंत्री चुनाव के दिन ढाई किमी पैदल चल कर वोट देने गए। इस दौरान लोगों का अभिवादन स्वीकार किया, जिसमें कई लोग भाजपा के झंडे के साथ दिख रहे हैं। वोट देने के बाद प्रधानमंत्री फिर पैदल लौटे। बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी पूछा कि क्या प्रधानमंत्री मोदी का कार्य उचित है।
हिंदी अखबारों ने प्रधानमंत्री के इस प्रकार चुनाव के दिन सड़क पर चलने, उसके लाइव प्रसारण की खबर को ही गायब कर दिया। एक दो अखबारों ने फोटो छापा, पर महिमंडन करते हुए। राजस्थान पत्रिका ने प्रधानमंत्री के रोड शो का फोटो छापा है, पर चुनाव आयोग से सवाल करने की हिम्मत नहीं जुटा पाया।
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