पीएम की मीटिंग में ममता समेत दूसरे सीएम कैसे हुए अपमानित
आज पीएम ने मुख्यमंत्रियों से बात की, लेकिन गैरभाजपा सीएम को बोलने नहीं दिया। ममता ने कहा, पीएम गंभीर नहीं हैं। जैसे टीकाकरण चल रहा है, उसमें दस साल लगेंगे।
आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोविड महामारी पर देश के 10 मुख्यमंत्रियों से वर्चुअल बात की। लेकिन इस दौरान किसी मुख्यमंत्री को बोलने का अवसर नहीं दिया गया।
मीटिंग के बाद प. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने जिस तरह मीटिंग हुई, उसपर बेहद कड़े शब्दों में आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि वर्चुअल मीटिंग में उन्हें एक शब्द भी बोलने नहीं दिया गया। मीटिंग लापरवाह ढंग से आयोजित थी। हम सभी मुख्यमंत्री अपमानित महसूस कर रहे हैं। मीटिंग पूरी तरह विफल रही।
ममता ने कहा कि उन्होंने सोचा था कि वे महामारी और ब्लैक फंगस, वैक्सीन, ऑक्सीजन, जरूरी दवाओं पर अपनी बात रखेंगी, लेकिन बोलने ही नहीं दिया गया। उन्होंने प्रधानमंत्री के बारे में कहा कि देश रो रहा है, पर प्रधानमंत्री आज भी गंभीर नहीं हैं। उनका रवैया लापरवाह (कैजुअल) है। उन्होंने संघीय ढांचे को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया है। अगर मुख्यमंत्रियों को बोलने ही नहीं देना था, तो मीटिंग के लिए आमंत्रित ही क्यों किया? केवल कुछ भाजपा के मुख्यमंत्रियों को बोलने दिया गया। गैरभाजपा मुख्यमंत्रियों को बोलने नहीं दिया गया।
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ममता ने कहा कि केंद्र सरकार जिस तरह टीकाकरण कर रही है, उससे देश में सबको टीका देने में 10 वर्ष लगेंगे। ममता ने गैरभाजपा शासित राज्यों के प्रति बदले की भावना से काम करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि बंगाल में आठ चरणों में चुनाव के कारण महामारी गांवों तक फैली।
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जैसे ही सोशल मीडिया पर ममता बनर्जी की प्रतिक्रिया आई, यह खबर ट्रेंड करने लगी। अनेक ट्विटर यूजर्स ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी किसी दूसरे की सलाह सुनते नहीं हैं, सिर्फ अपनी बात कहते हैं। विफल होने पर कहा जाएगा कि राज्यों ने ठीक से काम नहीं किया। टीके को लेकर भी लोग सवाल उठा रहे हैं।